Thursday, 1 August 2019

धर्म उसी की रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है .....

धर्म उसी की रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है .....
.
जो दृढ़ राखे धर्म को, तिंही राखे करतार| इण मंत्र रो जाप करे, वो मेवाड़ी सरदार|| 
उपरोक्त पंक्तियाँ अकबर के सेनापति अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना ने महाराणा प्रताप की प्रशंसा में लिखी थीं).
.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण का आश्वासन है ....
"नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते| स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्||२:४०||
.
हमने अपना धर्म छोड़ दिया है, इसलिए हमारा पतन हो रहा है और हम इतने अधिक कष्टों में हैं| हम धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा|
"धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ||"
धर्म ही रक्षा करेगा, और कोई नहीं |

1 comment:

  1. चारों ओर घना भयावह अंधकार है, कोई विकल्प नहीं है,
    तो स्वयं ही अग्नि बनकर प्रज्ज्वलित हो जाओ,
    तभी अंधेरा मिटेगा.
    और कोई समाधान नहीं है.

    ReplyDelete