Tuesday, 4 June 2019

मैं सेकुलर क्यों नहीं हूँ ? .....

मैं सेकुलर क्यों नहीं हूँ ? 

जो लोग स्वयं को सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) कहते हैं क्या उन को "सेक्युलरिज्म" के इतिहास का पता है?

>>> सन १८५१ ई.में इंग्लैंड के राजा हेनरी आठवें को अपनी पत्नी को तलाक देना था जिसके लिए पॉप की अनुमति आवश्यक थी| पॉप ने वह अनुमति नहीं दी| इसलिए पॉप के आदेश को ठुकराने के लिए इंग्लेंड में धर्मनिरपेक्षता यानि सेकुलरिज्म का सिद्धांत बनाया गया जिसके अंतर्गत इंग्लैंड का राजा पॉप के आदेश को मानने केलिए बाध्य नहीं था| सेकुलर का मतलब है "चर्च के आदेश को नहीं मानने वाला"| हम आज उन्हीं अंग्रेजों की नक़ल कर के सेकुलर बन रहे हैं|

मैं सेकुलर नहीं हूँ क्योंकि मैं अंग्रेजों का गुलाम नहीं हूँ| मैं धर्म-सापेक्ष हूँ, धर्म-निरपेक्ष नहीं| धर्म मेरा प्राण, मेरा जीवन है|

2 comments:

  1. क्या भारत में हिन्दू होना अपराध है?
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    मेरी सोच से हिन्दू वह है .....
    (१) जो हिंसा से दूर है| (२) जो सनातन धर्म व संस्कृति में आस्था रखता है| (३) जो भारतवर्ष को अपनी पितृभूमि व पुण्यभूमि मानता है| (४) जो एक ईश्वरोंमुखी ऊर्ध्व चेतना में स्थित है|

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  2. "धर्म-निरपेक्षता" व "समाजवाद" इन दो भ्रामक सिद्धांतों पर प्रतिबंध लगना चाहिए| इन्होनें विश्व को, विशेषकर भारत को जितना ठगा और भ्रमित किया है, उतना अन्य किसी भी सिद्धान्त ने नहीं|
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    भारत में धर्म-निरपेक्षता का अर्थ है ... सिर्फ हिंदुओं की निंदा और उनके हितों पर कुठाराघात, और हिंदुओं के अतिरिक्त अन्य सब का तुष्टीकरण करना| धर्म-निरपेक्ष शब्द का अर्थ है अधर्म-सापेक्ष| धर्म-निरपेक्षता के नाम पर अधर्म ही हो रहा है|
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    "समाजवाद" शब्द का अर्थ है -- अपने स्वयं के समाज/परिवार/संबंधियों को समृद्ध बना देना, बाकी सब को कंगाल। यही है असली समाजवाद।
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    ये दोनों ही शब्द किन्हीं बुद्धि-पिशाचों के विकृत दिमाग की उपज हैं|

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