Wednesday, 3 January 2018

गायत्री, अजपा-जप और ध्यान .....

गायत्री, अजपा-जप और ध्यान .....
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जो द्विज हैं यानी जिन्होनें यज्ञोपवीत धारण कर रखा है उन के लिए गायत्री जप किसी भी परिस्थिति में अनिवार्य है, अन्यथा उनका द्विजत्व च्युत हो जाता है| एक माला तो अनिवार्य है, पर यदि हो सके तो दस माला नित्य करनी चाहिए|
कुछ आचार्यों के अनुसार इस नियम से वे ही मुक्त हैं जो खूब लम्बे समय तक अजपा-जप (सांस के साथ "हं" और "सः" का मानसिक जप) करते हैं| उनके अनुसार अजपा-जप लघु गायत्री है|
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गायत्री मन्त्र के देवता सविता ही ज्योतिर्मय ब्रह्म हैं जिन की भर्गः ज्योति का हम कूटस्थ में ध्यान करते हैं| वे ही परब्रह्म परमशिव हैं, वे ही नारायण हैं, और वे ही आत्म-सूर्य यानी सभी तत्वों के तत्व हैं| उन्हीं के बारे में श्रुति भगवती कहती है ....
"न तत्र सूर्यो भांति न चन्द्र-तारकं
नेमा विद्युतो भान्ति कूतोऽयमग्नि |
तम् एव भान्तम् अनुभाति सर्वं
तस्य भासा सर्वम् इदं विभाति ||"
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"हिरन्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्
तत् त्वं पूषन्न्-अपावृणु सत्य-धर्माय दृष्टये |"
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"पूषन्न् अकर्ये यम सूर्य प्राजापत्य व्युह-रश्मीन् समूह तेजो यत् ते रूपं कल्याणतमं तत् ते पश्यामि यो ऽसव् असौ पुरुषः सो ऽहम् अस्मि |
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हमें उस आभासित ब्रह्म आत्मसूर्य का ही ध्यान करना चाहिए| वह ही हम हैं|
प्रार्थना :---
हे प्रभु, हे परमात्मा, मैं अपनी तुच्छ और अति अल्प बुद्धि से कुछ भी समझने में असमर्थ हूँ| मुझे इस द्वैत से परे ले चलो, अपनी पवित्रता दो, अपना परम प्रेम दो| इसके अतिरिक्त मुझे कुछ भी नहीं मालूम, और कुछ भी नहीं चाहिए|
हे परम प्रिय, तुम हवाओं में बह रहे हो, झोंकों में मुस्करा रहे हो, सितारों में चमक रहे हो, हम सब के विचारों में नृत्य कर रहे हो, समस्त जीवन तुम्हीं हो| हे परमात्मा, हे गुरु रूप ब्रह्म, तुम्हारी जय हो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०३ जनवरी २०१८

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