"संतुष्टि".... जीवन की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है .....
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सभी साधू-संतों का मैं पूर्ण सम्मान करता हूँ| भारत के सभी प्रमुख सम्प्रदायों के अनेक संत महात्माओं से मेरा सत्संग हुआ है| हर प्रमुख सम्प्रदाय में एक से बढ़कर एक विद्वान् व तपस्वी संत हैं| कोई छोटा-बड़ा नहीं है, सभी आदरणीय हैं| स्वभाव से मेरी रूचि वेदान्त व योग दर्शन में है, अतः आचार्य शंकर की परम्परा से स्वभाववश मैं सर्वाधिक प्रभावित हूँ|
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श्रुतियों को समझने योग्य बुद्धि तो भगवान ने इस जन्म में नहीं दी है, पर फिर भी जितना इस सीमित और अति अल्प बुद्धि में समा सकता है, उतना न्यूनतम अनिवार्य और आवश्यक ज्ञान भगवान ने अवश्य दिया है|
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मुझे पूर्ण संतुष्टि है| जितना भी भगवान ने मेरी पात्रता के अनुसार मुझे दिया है, उस से अधिक और कुछ भी मुझे नहीं चाहिए| यह संतुष्टि और संतोष ही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है| मेरा जीवन चाहे हिमालय जितनी बड़ी बड़ी कमियों से भरा हो पर मैं इसे सफल मानता हूँ क्योंकि भगवान ने मुझे अपना प्रेम और संतोष-धन यानि संतुष्टि दी है| और चाहिए भी क्या?
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सभी साधू-संतों का मैं पूर्ण सम्मान करता हूँ| भारत के सभी प्रमुख सम्प्रदायों के अनेक संत महात्माओं से मेरा सत्संग हुआ है| हर प्रमुख सम्प्रदाय में एक से बढ़कर एक विद्वान् व तपस्वी संत हैं| कोई छोटा-बड़ा नहीं है, सभी आदरणीय हैं| स्वभाव से मेरी रूचि वेदान्त व योग दर्शन में है, अतः आचार्य शंकर की परम्परा से स्वभाववश मैं सर्वाधिक प्रभावित हूँ|
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श्रुतियों को समझने योग्य बुद्धि तो भगवान ने इस जन्म में नहीं दी है, पर फिर भी जितना इस सीमित और अति अल्प बुद्धि में समा सकता है, उतना न्यूनतम अनिवार्य और आवश्यक ज्ञान भगवान ने अवश्य दिया है|
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मुझे पूर्ण संतुष्टि है| जितना भी भगवान ने मेरी पात्रता के अनुसार मुझे दिया है, उस से अधिक और कुछ भी मुझे नहीं चाहिए| यह संतुष्टि और संतोष ही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है| मेरा जीवन चाहे हिमालय जितनी बड़ी बड़ी कमियों से भरा हो पर मैं इसे सफल मानता हूँ क्योंकि भगवान ने मुझे अपना प्रेम और संतोष-धन यानि संतुष्टि दी है| और चाहिए भी क्या?
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
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