Friday, 5 September 2025

"नाहं वसामि वैकुंठे योगिनां हृदये न च। मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद॥"

 "नाहं वसामि वैकुंठे योगिनां हृदये न च। मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद॥"

.
सारी सृष्टि कृष्णमय है, वे ही यह विश्व बन गए हैं; कोई अन्य है ही नहीं। मेरे विचार अधिकांश लोगों से कुछ हट कर हैं। अपनी श्रद्धा, विश्वास और मान्यता के अनुसार मेरा अपना जीवन भगवान को पूरी तरह समर्पित है। मेरा समर्पण पूर्ण हो, उसमें कोई कमी न रहे। भगवान का प्राकट्य मेरे चैतन्य के उच्चतम शिखर पर हो। मेरी सम्पूर्ण चेतना ही कृष्णमय हो। यही भगवान से प्रार्थना है।
आज और कल अधिक से अधिक समय भगवान श्रीकृष्ण के ध्यान में ही बीते।
.
"वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्॥"
"वंशी विभूषित करा नवनीर दाभात्,
पीताम्बरा दरुण बिंब फला धरोष्ठात्।
पूर्णेन्दु सुन्दर मुखादर बिंदु नेत्रात्,
कृष्णात परम् किमपि तत्व अहं न जानि॥"
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥"
"नमो ब्रह्मण्य देवाय गो ब्राह्मण हिताय च, जगद्धिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥"
"मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्। यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्॥"
"कस्तुरी तिलकम् ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम् ,
नासाग्रे वरमौक्तिकम् करतले, वेणु करे कंकणम्।
सर्वांगे हरिचन्दनम् सुललितम्, कंठे च मुक्तावलि,
गोपस्त्री परिवेष्ठितो विजयते, गोपाल चूड़ामणी॥"
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥"
६ सितंबर २०२३

No comments:

Post a Comment