Thursday, 26 June 2025

अनेक कारणों से मैं जीवन में क्षुब्ध रहा हूँ

अनेक कारणों से मैं जीवन में क्षुब्ध रहा हूँ, लेकिन अब अपनी सोच बदल ली है, जिससे जीवन में सुख-शांति है। यह सृष्टि मेरी नहीं, परमात्मा की है। उसे उनकी प्रकृति अपने अपरिवर्तनीय नियमों के अनुसार चला रही है। प्रकृति तो अपने नियमों के अनुसार ही चलेगी, जिन्हें हम नहीं समझते हैं। हमें ही स्वयं को बदलना होगा। हम जो कुछ भी और जैसे भी हैं, अपने ही कर्मों के कारण हैं।

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अपनी सीमित क्षमतानुसार परमात्मा को समर्पित होकर हर परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ करें। लेकिन परमात्मा को कभी भूलें नहीं। यही हमारा कर्मयोग है।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२७ जून २०२२

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