Tuesday, 22 April 2025

हे परमशिव, अब आपके बिना, एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकते! इसी क्षण स्वयं को पूर्णतः व्यक्त करो ---

 हे परमशिव, अब आपके बिना, एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकते! इसी क्षण स्वयं को पूर्णतः व्यक्त करो ---

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यह कोई माँग नहीं, हृदय की अभीप्सा है, जिसे परमात्मा का विरह एक क्षण के लिए भी स्वीकार्य नहीं है। परमात्मा हमें प्राप्त नहीं होते, बल्कि समर्पण द्वारा हम स्वयं ही परमात्मा को प्राप्त होते हैं। कुछ पाने का लालच -- माया का एक बहुत बड़ा अस्त्र है। जीवन का सार कुछ होने में है, न कि कुछ पाने में। जब सब कुछ हम ही हैं, तो प्राप्त करने को बचा ही क्या है? . ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२३ अप्रेल २०२१ . पुनश्च: --- किसी भी शिवालय में भगवान शिव के वाहन नंदी का मुंह सदा शिवलिंग की ओर ही होता है। अतः हमारी दृष्टी भी निज-आत्मा यानी आत्म-तत्व की ओर ही हर समय होनी चाहिए क्योंकि हमारी यह देह भी हमारी आत्मा का वाहन है।

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