Tuesday, 12 November 2024

{भाग १} विदेशों में भारतीयों को आकर्षित करने वाले नगर, व्यापार और दुकानें जो मेरी स्मृति में हैं, जहाँ का भ्रमण मैं कर चुका हूँ ---

 {भाग १} विदेशों में भारतीयों को आकर्षित करने वाले नगर, व्यापार और दुकानें जो मेरी स्मृति में हैं, जहाँ का भ्रमण मैं कर चुका हूँ ---

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(१) सिंगापूर का मुस्तफा डिपार्टमेंटल स्टोर -- यहाँ आपको सूई से लेकर कंप्यूटर तक मिल जाएगा। यह बहुत विशाल दुकान है जहाँ सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं, जिनको हिन्दी का ज्ञान होना अनिवार्य है। यहाँ सामान वही मिलता है जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में काम आ सकता है। भारत,पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले पर्यटक यहाँ अवश्य आते हैं। यहाँ के कर्मचारी आपसे हिन्दी में ही बात करेंगे।
सिंगापूर की सेरंगून रोड़ पर तो आपको लगता ही नहीं है कि आप भारत में नहीं है। भारतीय ही भारतीय, और भारतीयों की दुकानें यहाँ खूब हैं। ऐसे लगता है जैसे तमिलनाडु के किसी नगर में घूम रहे हों। सिंगापूर एक बहुत ही शानदार नगर है। यह एक सार्वभौम देश भी है और नगर भी। यह दिल्ली से बड़ा नहीं है। यहाँ की भौगोलिक स्थिति और मुक्त व्यापार से ही यहाँ की समृद्धि है। यहाँ पीने का पानी भी पर्याप्त नहीं है। पीने का पानी, सब्जियाँ और अनाज तक भी यहाँ बाहर से आयातित ही होते हैं। फिर भी यहाँ खूब समृद्धि है।
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(२) होङ्ग्कोंग का चूंकिङ्ग टावर ---
होङ्ग्कोंग में शायद यही एक स्थान है जहाँ भारतीयों और नेपालियों की खूब दुकानें हैं। किसी भारतीय को देखकर वे हिन्दी में ही बात करते हैं। वहाँ पास में ही संघ की एक शाखा भी हिन्दू स्वयंसेवक संघ के नाम से लगती थी। अब पता नहीं है कि नहीं। यहाँ खूब भारतीय आपको मिलेंगे।
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(३) कनाडा की वेंकूवर सिटी में पंजाबी मार्केट ---
वेंकूवर सिटी में एक इंडिया स्ट्रीट है जिसमें एक खूब बड़ा पंजाबी मार्केट है। वहाँ लगता ही नहीं है कि आप कनाडा में हैं। लगता है कि आप पंजाब में जलन्धर या लुधियाना में घूम रहे हैं।
वेंकूवर एक बहुत ही शानदार नगर है, जहाँ कई बार गया हूँ। वहाँ खूब घूमा-फिरा भी हूँ, और किसी समय वहाँ अनेक लोगों को जानता भी था। पास में ही कुछ और छोटे नगर भी हैं जहाँ आपको खूब पंजाबी और गुजराती लोग मिलेंगे। कनाडा के पूर्व में मोंट्रियाल भी गया हूँ, लेकिन कोई भारतीय वहाँ नहीं मिले। भारत में जो खालिस्तानी लोग हैं, उनको सबसे अधिक धन वेंकूवर से आता है। वे लोग कनाडा में ही खालिस्तान क्यों नहीं बनाते?
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(४) जापान का कोबे नगर ---
जापान के कई नगरों का भ्रमण किया है, लेकिन जितने भारतीय मुझे कोबे नगर में मिले उतने अन्यत्र कहीं भी नहीं मिले। वहाँ के बाजार का नाम भूल रहा हूँ जहाँ खूब भारतीय व्यापारियों का व्यवसाय है। अब तो जापान बहुत मंहगा है। कोई मुझे मुफ्त में भी वहाँ भेजे तो नहीं जाऊंगा।
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विश्ब के और भी अनेक देशों का भ्रमण मैंने किया है। वहाँ की कुछ स्मृतियाँ हैं। कभी मानस बनेगा तो फिर लिखूंगा।
(क्रमशः)

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