जो पूर्व जन्म में मेरे गुरु थे वे ही इस जन्म में भी मेरे गुरु हैं ---- (Dated ३० जून २०२१)
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चार दिन पश्चात् "गुरुपूर्णिमा" आ रही है| एक प्रबल आकर्षण गुरु-पादुका की पूजा और गुरु-चरणों पर निरंतर ध्यान करने का हो रहा है .....
"अनंत संसार समुद्र तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम् |
वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्याम् नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्याम् ||"
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पूर्वजन्म की और इस जन्म की कुछ अलौकिक अति दिव्य स्पष्ट स्मृतियाँ और सूक्ष्म जगत के कुछ अनुभव हैं, जिन्होंने मुझे आध्यात्म पथ का पथिक बना दिया| उन पर किसी से चर्चा नहीं कर सकता| सार यह है कि गुरुलाभ पूर्वजन्म में हुआ था, लेकिन उसका फल इस जन्म में मिल रहा है| जो पूर्व जन्म में मेरे गुरु थे वे ही इस जन्म में भी मेरे गुरु हैं| सूक्ष्म जगत से वे निरंतर मार्गदर्शन और रक्षा कर रहे हैं| उनके बराबर हितैषी कोई अन्य नहीं है| अब तो मैं उनके प्रति समर्पित होकर उनके साथ एक हूँ| गुरुकृपा का फल यही मिला कि गुरु-चरणों में आश्रय मिल गया, अब कहीं कोई भेद नहीं रहा है|
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हे कूटस्थ गुरु-रूप ब्रह्म आपको नमन है| मैं आपके साथ एक हूँ| आप ही मुझमें व्यक्त हो रहे हो|
"गुशब्दस्त्वन्धकार: स्यात् रूशब्दस्तन्निरोधक:| अन्धकारनिरोधित्वाद् गुरूरित्यभिधीयते||"
"ऊँ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु | सह वीर्यं करवावहै |
तेजस्विना वधीतमस्तु, मा विद्विषावहै ||"
ऊँ शान्ति: शान्ति: शान्ति: || जय गुरु !!
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३० जून २०२०
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