हमारे शास्त्रों के अनुसार आतताई का वध कोई पाप नहीं, कर्तव्य है ---
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"आततायिनमायान्तं हन्यादेवाविचारयन्।
नाततायिवधे दोषो हन्तुर्भवति कश्चन॥" -- मनु स्मृति ( ८ | ३५०-३५१ )
अपना अनिष्ट करने के लिए आते हुए आततायी को बिना विचारे ही मार डालना चाहिए | आततायी के मारने से मारनेवाले को कुछ दोष नहीं होता॥
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"अग्निदो गरदश्चैव शस्त्रपाणिर्धनापहः।
क्षेत्रदारापहर्ता च षडेते ह्याततायिन॥" -- वसिष्ठस्मृति ( ३ | १९ )
आग लगानेवाला, विष देनेवाला , हाथ में शस्त्र लेकर मारने को उद्यत , धन हरण करने वाला , जमीन छीननेवाला और स्त्री का हरण करनेवाला - ये छहों ही आततायी है॥
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