विद्वान कौन है?
प्राणो ह्येष यः सर्वभूतैर्विभाति विजानन्विद्वान्भवते नातिवादी |
आत्मक्रीड आत्मरतिः क्रियावानेष ब्रह्मविदां वरिष्ठः ||मुण्डकोपनिषद, ३.१.४ ||
..... प्राण तत्व, जो सब भूतों/प्राणियों में प्रकाशित है, को जानने वाला ही विद्वान् है, न कि बहुत अधिक बात करने वाला| वह आत्मक्रीड़ारत और आत्मरति यानि आत्मा में ही रमण करने वाला क्रियावान ब्र्ह्मविदों में वरिष्ठ यानि श्रेष्ठ है|
आत्मक्रीड आत्मरतिः क्रियावानेष ब्रह्मविदां वरिष्ठः ||मुण्डकोपनिषद, ३.१.४ ||
..... प्राण तत्व, जो सब भूतों/प्राणियों में प्रकाशित है, को जानने वाला ही विद्वान् है, न कि बहुत अधिक बात करने वाला| वह आत्मक्रीड़ारत और आत्मरति यानि आत्मा में ही रमण करने वाला क्रियावान ब्र्ह्मविदों में वरिष्ठ यानि श्रेष्ठ है|
(भक्तिसुत्रों में आत्मा में रमण करने वाले को आत्माराम कहा गया है ... "यज्ज्ञात्वा मत्तो-भवति, स्तब्धो भवति, आत्मारामो भवति")
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