Friday, 13 September 2019

"श्रीराधा" .....

एक बार मुझे प्रेरणा मिली कि मैं जगन्माता के सौम्य रूप का ध्यान करूँ| मेरे समक्ष जगन्माता के दो ही सौम्य रूप सामने आये ..... एक भगवती सीता जी का और एक भगवती श्रीराधा जी का| तत्व रूप में मुझे उनमें कोई भेद दृष्टिगत नहीं हुआ| मैं जिस किसी भी रूप का ध्यान करता वह अनंत विस्तृत होकर ज्योतिर्मय हो जाता और प्रेमानन्द की असीम अनुभूति होती| एक विराट ज्योति और आनंद के अतिरिक्त चैतन्य में अन्य कुछ भी अनुभूत नहीं होता| अब तो मैं उन्हें किसी भी नाम-रूप में सीमित नहीं कर सकता| जगन्माता, जगन्माता ही हैं, जो समस्त सृष्टि का पालन-पोषण कर रही हैं, जन्म दे रही हैं और संहार कर रही हैं| हम उन्हें सीमित नहीं कर सकते|
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मेरे लिए भगवती श्रीराधा ... "परमात्मा की वह परमप्रेममयी शक्ति हैं जिन्होंने समस्त सृष्टि को धारण कर रखा है|" इससे अधिक कुछ भी कहने में असमर्थ हूँ| कुछ रहस्य, रहस्य ही रहते हैं, उन्हें व्यक्त नहीं किया जा सकता|
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सद्गुरु का आशीर्वाद और आज्ञा प्राप्त कर जगन्माता का ध्यान उत्तरा-सुषुम्ना में कीजिए| गुरुकृपा से जगन्माता के परमप्रेम की अवश्य अनुभूति होगी|
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भगवान हमारे पिता भी है और माता भी| जैसी भी हमारी भावना होती है उसी के अनुसार वे स्वयं को व्यक्त करते हैं| हम उन्हें बाध्य नहीं कर सकते| उनकी परम कृपा हम सब पर बनी रहे|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
६ सितंबर २०१९

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