यहाँ और अभी .....
इसी समय भगवान हमारे साथ है जिन्हें देखने के लिए कुछ तो दूरी होनी चाहिए पर कोई दूरी है ही नहीं| वह कहीं दूर नहीं है| वह तो निकटतम से भी निकट है|
क्या आँखें अपने भीतर झाँक कर देख सकती हैं कि वहाँ भीतर से कौन देख रहा है?
क्या हृदय अनुभूत कर सकता है कि उसके भीतर कौन धड़क रहा है?
कौन तो यह साँसें ले रहा है? कौन यह सोच रहा है?
एकमात्र अस्तित्व उसी का है| वही मेरा उपास्य है| वह मुझ से पृथक नहीं है| वही मैं हूँ|
ॐ ॐ ॐ !!
१७ नवम्बर २०१७
इसी समय भगवान हमारे साथ है जिन्हें देखने के लिए कुछ तो दूरी होनी चाहिए पर कोई दूरी है ही नहीं| वह कहीं दूर नहीं है| वह तो निकटतम से भी निकट है|
क्या आँखें अपने भीतर झाँक कर देख सकती हैं कि वहाँ भीतर से कौन देख रहा है?
क्या हृदय अनुभूत कर सकता है कि उसके भीतर कौन धड़क रहा है?
कौन तो यह साँसें ले रहा है? कौन यह सोच रहा है?
एकमात्र अस्तित्व उसी का है| वही मेरा उपास्य है| वह मुझ से पृथक नहीं है| वही मैं हूँ|
ॐ ॐ ॐ !!
१७ नवम्बर २०१७
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