Friday, 17 November 2017

प्रसिद्धि की कामना ..... अपकीर्ति का द्वार है .....

प्रसिद्धि की कामना ..... अपकीर्ति का द्वार है .....
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हमारे मन में यदि यश की, प्रशंसा की और प्रसिद्धि की कामना है तो ये हमें निश्चित रूप से मिलेंगी पर साथ साथ इसका निश्चित दंड भी अपयश, निंदा, और अपकीर्ति (बदनामी) के रूप में भुगतना ही पड़ेगा| जो कुछ भी इस सृष्टि में हम प्राप्त करना चाहते हैं वह तो हमें मिलता ही है पर उसका विपरीत भी निश्चित रूप से मिलता है| यह प्रकृति का नियम है|
इस से बचने का एक ही उपाय है ..... हम कर्ताभाव, कामनाओं और अपेक्षाओं से मुक्त हों| इसके लिए हमें साधना/उपासना करनी ही पड़ेगी|

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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