Sunday, 29 October 2017

"धर्मनिरपेक्षता" और "जातिवादी भेदभाव" की अफीम :--


"धर्मनिरपेक्षता" और "जातिवादी भेदभाव" की अफीम :--
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पिछले दो सौ वर्षों से हिंदुत्व विरोधी शक्तियों ने भारत से हिंदुत्व को समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है| हिंदुत्व को समाप्त करने के लिए सर्वप्रथम तो भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को समाप्त किया गया| पूरे देश में लाखों गुरुकुल थे जिन्हें बड़ी क्रूरता व निर्दयता से बंद किया गया| आचार्यों की हत्याएँ की गईं, बचे हुओं को निर्धन बना कर भगा दिया गया, उनके ग्रन्थ जला दिए गए,और उन्हें इतना निर्धन बना दिया गया कि वे अपने बच्चों को भी नहीं पढ़ा सकें| उन्हें दरिद्र बनाकर उनके ग्रन्थ रद्दी में खरीद लिए गए| ग्रंथों में मिलावट कर के उन्हें विवादित बना दिया गया, शिक्षक वर्ग जो प्रायः ब्राह्मण थे उनको अत्यधिक बदनाम किया गया, जान बूझ कर जातिगत विद्वेष उत्पन्न किया गया, आर्य आक्रमण का झूठा इतिहास बना कर पढ़ाया गया जो अब तक पढ़ाया जा रहा है| भारत के संविधान को हिन्दू विरोधी बनाने के लिए उसमें ऐसी व्यवस्था की गयी कि हिन्दू अपना धर्म विद्यालयों में न पढ़ा सकें| भारत में हिन्दू अपना धर्म विद्यालयों में नहीं पढ़ा सकते जबकि अन्य मतावलंबी पढ़ा सकते हैं| सबसे बड़ा प्रहार किया गया "धर्मनिरपेक्षता" और "जातिवादी भेदभाव" की अफीम खिलाकर| भारत में अभी भी भारत के शत्रुओं द्वारा लिखा गया झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है| एक षडयंत्र के अंतर्गत हिन्दुओं को आत्महीनता के बोध से ग्रस्त किया गया|
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अब स्थिति ऐसी हो गयी है कि धर्म-शिक्षण के अभाव में हिन्दू केवल नाम के ही हिन्दू रह गए हैं| विदेशों से नियंत्रित हिन्दू विरोधी मीडिया और कुशिक्षा ने हिन्दुओं के दिमाग में झूठे "सेक्युलरिज्म" और "जातिवादी भेदभाव" का अफीम इतना अधिक भर दिया है कि मौत को सामने देखकर भी वे शुतुरमुर्ग की तरह एक झूठ-कपट से भरे फर्जी सिद्धांत "सर्वधर्म-समभाव" की रेत में मुँह छुपा लेते हैं| अब तो स्थिति ऐसी बन गयी है कि हिन्दुओं को अपने ही धर्म को जानने की भी रूचि नहीं रही है|
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देश की पिछली सरकार ने तो हिंदुत्व को समाप्त करने की पूरी योजना बना ली थी एक ऐसा कानून ला कर जो हिंदुत्व को समाप्त ही कर देता| भगवा आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ा गया, संतों को बदनाम किया गया, कांची के शंकराचार्य को ठीक दीपावली के दिन गिरफ्तार किया गया, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद आदि अनेकों को गिरफ्तार कर के जेलों में अमानवीय यंत्रणाएँ दी गईं| उद्देश्य एक ही था .... हिंदुत्व को बदनाम करना| यह तो भगवान की परम कृपा थी कि वह हिन्दू विरोधी सरकार सत्ता से बाहर हो गयी| अब वे हिन्दू विरोधी शक्तियाँ बापस सत्ता पाने को फड़फड़ा रही हैं| हर दिन देश के किसी न किसी भाग में हिन्दुओं पर सुनियोजित साम्प्रदायिक आक्रमण होते रहते हैं, मीडिया का अधिकाँश भाग तो देखने तक के लिए तैयार नहीं होता|
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नरेन्द्र मोदी से इन छद्म-सेक्युलरों को घृणा इस कारण है कि हिन्दू विरोधी शक्तियों द्वारा आरम्भ कराए गए गोधरा दंगे को मोदी ने सेना बुलाकर शान्त करा दिया, और उसके पश्चात फिर कभी गुजरात में दंगा नहीं भड़कने दिया| दंगा नहीं होगा तो हिन्दुओं को बदनाम करने का अवसर नहीं मिलेगा|
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भारत को बहुत सारे देशभक्त राष्ट्रवादी नेताओं की आवश्यकता है| जो समझदार हैं उन प्रबुद्ध लोगों को चाहिए हिन्दुओं की अपने धर्म को जानने में रूचि जागृत करें अन्यथा हिन्दुओं का वही हाल होगा जो पाकिस्तान में हुआ है| कहीं ऐसी स्थिति न आ जाए की चीन की सहायता से पकिस्तान फिर भारत पर आक्रमण कर दे|
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आध्यात्मिक रूप से हमें आवश्यकता है एक "ब्रह्मशक्ति" की जो देश के "क्षत्रीयत्व" व स्वाभिमान को जगा सके| वीरता का भाव उत्पन्न करने के लिए गीता का अध्ययन अध्यापन और भगवान श्रीराम की भी साधना करनी होगी जिन्होंने आतताइयों का नाश करने के लिए हाथ में अस्त्र धारण कर रखा है| असत्य और अन्धकार की आसुरी शक्तियाँ अनादि काल से सक्रीय रही हैं, उन्होंने राज्य भी किया है, पर अंततः सदा उनका पराभव हुआ है|
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भारत की अस्मिता और प्राण हिन्दू धर्म है| बिना हिंदुत्व के भारत भारत नहीं है| अगर हिन्दू , अपने धर्म को जीवन की प्राथमिकता नहीं बनाएगा .... तो हर हिन्दू का जीवन समस्याग्रस्त होना सुनिश्चित है| भारत की आत्मा आध्यात्मिकता है| भारत में धर्म की पुनर्स्थापना के लिए हमें आध्यात्म की ओर लौटना होगा और स्वयं को दैवीय शक्तियों से युक्त कर बलशाली होना होगा| स्वयं सब प्रकार से शक्तिशाली बनकर ही हम धर्म और राष्ट्र की रक्षा कर सकेंगे|
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निज जीवन में हम धर्म का पालन करें और परमात्मा को व्यक्त करें| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

1 comment:

  1. दुनियाँ का सबसे बड़ा झूठ :-- "सर्वधर्म समभाव" ये शब्द किसी महाकुटिल घोर धूर्त नास्तिक के मन की कल्पना है जो हिन्दुओं को मुर्ख बनाने के लिए की गयी है| जो लोग ऐसा कहते हैं वे या तो धूर्त हैं या मुर्ख जिन्होनें किसी भी धर्म का अध्ययन नहीं किया है| वास्तविकता तो यह है कि सारे मज़हब ही आपस में लड़ना सिखाते हैं| विश्व में जितनी भी लडाइयाँ चल रही हैं वे मज़हब के नाम पर ही चल रही हैं| यदि सभी धर्म समान ही होते हैं, तो फिर धर्मांतरण और विध्वंश की क्या आवश्यकता थी और है?

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