नवरात्रों में किये जाने वाले "गरबा" का उद्देश्य सिर्फ जगन्माता की भक्ति है .....
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नवरात्रों में किये जाने वाले "गरबा" नृत्य का एकमात्र उद्देश्य जगन्माता की भक्ति है| मैं गुजरात की संस्कृति से अच्छी तरह परिचित हूँ| चालीस पचास वर्ष पूर्व तक गरबों में सिर्फ भजन ही गाये जाते थे, संगीत भी हृदय और कानों को प्यारा लगता था| सारे स्त्री और पुरुष सब अति भक्तिभाव से विभोर होकर नृत्य करते थे| यह उत्सव अपने भक्तिभाव को प्रकट करने का ही उत्सव होता था| पर अब कुछ अपवादों को छोड़कर बहुत अधिक विकृति आ गयी है| इसका कारण सिनेमा का असर भी हो सकता है और समय का प्रभाव भी|
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अब धीरे धीरे यह उत्सव एक आडम्बर हो गया है| फिल्मी धुनो पर थिरकते हुए गरबा करना, भक्तों का अत्यधिक सज धज कर आना, और जगन्माता को रिझाने की बजाय विपरीत लिंग (Opposite Sex) को रिझाने का प्रयास ..... क्या पतन नहीं है?
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इस से तो अच्छा है कि परिवार के सदस्य ही आपस में गरबा कर लें| भक्ति ही करनी है तो बाहरी दिखावे व बाहरी मनोरंजन की कोई आवश्यकता नहीं है|
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मैंने तो यहाँ अपनी भावनाओं को मात्र व्यक्त किया है| जो हो रहा है उस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है| मैं किसी की निंदा नहीं कर रहा हूँ, मेरा किसी से कोई द्वेष या अपेक्षा नहीं है| भगवान जो करेंगे वह अच्छा ही करेंगे| सभी को शुभ कामनाएँ| आप सब के ह्रदय में जगन्माता की भक्ति पूर्णतः जागृत हो|
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नवरात्रों में किये जाने वाले "गरबा" नृत्य का एकमात्र उद्देश्य जगन्माता की भक्ति है| मैं गुजरात की संस्कृति से अच्छी तरह परिचित हूँ| चालीस पचास वर्ष पूर्व तक गरबों में सिर्फ भजन ही गाये जाते थे, संगीत भी हृदय और कानों को प्यारा लगता था| सारे स्त्री और पुरुष सब अति भक्तिभाव से विभोर होकर नृत्य करते थे| यह उत्सव अपने भक्तिभाव को प्रकट करने का ही उत्सव होता था| पर अब कुछ अपवादों को छोड़कर बहुत अधिक विकृति आ गयी है| इसका कारण सिनेमा का असर भी हो सकता है और समय का प्रभाव भी|
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अब धीरे धीरे यह उत्सव एक आडम्बर हो गया है| फिल्मी धुनो पर थिरकते हुए गरबा करना, भक्तों का अत्यधिक सज धज कर आना, और जगन्माता को रिझाने की बजाय विपरीत लिंग (Opposite Sex) को रिझाने का प्रयास ..... क्या पतन नहीं है?
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इस से तो अच्छा है कि परिवार के सदस्य ही आपस में गरबा कर लें| भक्ति ही करनी है तो बाहरी दिखावे व बाहरी मनोरंजन की कोई आवश्यकता नहीं है|
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मैंने तो यहाँ अपनी भावनाओं को मात्र व्यक्त किया है| जो हो रहा है उस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है| मैं किसी की निंदा नहीं कर रहा हूँ, मेरा किसी से कोई द्वेष या अपेक्षा नहीं है| भगवान जो करेंगे वह अच्छा ही करेंगे| सभी को शुभ कामनाएँ| आप सब के ह्रदय में जगन्माता की भक्ति पूर्णतः जागृत हो|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
२६ सितम्बर २०१७
२६ सितम्बर २०१७
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