Monday, 5 June 2017

परमात्मा की कृपा ही हमें मुक्त कर सकती है .....


परमात्मा की कृपा ही हमें मुक्त कर सकती है .....
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भगवान स्वयं ही करुणावश कृपा कर के हमें अपने साथ एक कर सकते हैं| यह न तो निज प्रयास से संभव है और न ही किसी देवी-देवता के द्वारा| असुर और सुर दोनों ही आध्यात्म मार्ग में बाधक हैं| देवता भी बुद्धि में दोष और अविश्वास उत्पन्न कर देते हैं| अतः आध्यात्मिक साधना से पूर्व भगवान से प्रार्थना और कुछेक शांतिमंत्रों का पाठ अवश्य करना चाहिए ताकि साधनामार्ग निर्विघ्न रहे| गुरु भी वही हो सकता है जो श्रोत्रिय, ब्रह्मनिष्ठ और जीवनमुक्त हो|
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कुछ शान्तिमंत्र :--
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ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते | पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ||
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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ॐ सह नाववतु | सह नौ भुनक्तु | सह वीर्यं करवावहै | तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ||
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः | शं नो भवत्वर्यमा | शं न इन्द्रो वृहस्पतिः | शं नो विष्णुरुरुक्रमः |
नमो ब्रह्मणे | नमस्ते वायो | त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि | त्वमेव प्रत्यक्षम् ब्रह्म वदिष्यामि |
ॠतं वदिष्यामि | सत्यं वदिष्यामि | तन्मामवतु | तद्वक्तारमवतु | अवतु माम् | अवतु वक्तारम् |
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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ॐ आप्यायन्तु ममाङ्गानि वाक्प्राणश्चक्षुः श्रोत्रमथो बलमिन्द्रियाणि च सर्वाणि |
सर्वम् ब्रह्मौपनिषदम् माऽहं ब्रह्म निराकुर्यां मा मा ब्रह्म
निराकरोदनिराकरणमस्त्वनिराकरणम् मेऽस्तु |
तदात्मनि निरते य उपनिषत्सु धर्मास्ते मयि सन्तु ते मयि सन्तु |
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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ॐ वाङ् मे मनसि प्रतिष्ठिता मनो मे वाचि प्रतिष्ठित-मावीरावीर्म एधि |
वेदस्य म आणिस्थः श्रुतं मे मा प्रहासीरनेनाधीतेनाहोरात्रान्
संदधाम्यृतम् वदिष्यामि सत्यं वदिष्यामि तन्मामवतु
तद्वक्तारमवत्ववतु मामवतु वक्तारमवतु वक्तारम् |
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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ॐ भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः |
स्थिरैरन्ङ्गैस्तुष्टुवागं सस्तनूभिः | व्यशेम देवहितम् यदायुः |
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः |
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः |
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः |
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ||
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष शान्ति: पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: |
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति: सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ||
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||
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ॐ असतो मा सद्गमय | तमसो मा ज्योतिर्गमय | मृत्योर्माऽमृतं गमय |
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||
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ॐ ॐ ॐ ||

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