पित्तरों के देवता भगवान अर्यमा का ध्यान व उनकी अनुभूति .....
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गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ....
"अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्| पितृणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्||१०:२९||
अर्थात् मैं नागों में अनन्त (शेषनाग) हूँ और जल देवताओं में वरुण हूँ; मैं पितरों में अर्यमा हँ और नियमन करने वालों में यम हूँ||
पितृलोक में पित्तरों के देवता भगवान अर्यमा हैं| पुण्यात्माओं का वे ही कल्याण करते हैं| यदि हम पूर्ण भक्ति भाव से उनका गहरा ध्यान करें तो वे निश्चित रूप से अपनी उपस्थिती का आभास कराते हैं और हमारे किसी प्रश्न का उत्तर भी दे सकते हैं| इस तरह की अनुभूति मुझे भी हुई है, और मेरे एक प्रश्न का उत्तर भी उनसे मिला है|
"ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः| ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय||"
अर्थात् पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ हैं| अर्यमा पितरों के देव हैं| अर्यमा को प्रणाम|
हे पिता, पितामह, और प्रपितामह; हे माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम| आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें||
23 सितंबर 2020
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