जीवन में जिस दिन हम अपनी बुद्धि रूपी कन्या का विवाह भगवान से कर देंगे, उस दिन से जीवन में प्रसन्नता ही प्रसन्नता आ जायेगी। दहेज में अपना मन, चित्त और अहंकार भी भगवान को अर्पित कर दो। मन से कह दो कि तुम्हारे स्वामी अब मैं नहीं, भगवान हैं; उनके सिवाय अन्य किसी का चिंतन मत करो। चित्त को भी भगवान की सेवा में लगा दो, और पाओगे कि अहंकार तो अपने आप ही लुप्त हो गया है। सिर्फ भगवान ही हमारे समक्ष रहेंगे।
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संसार में किसी को भी संतुष्ट नहीं कर सकते, चाहे सारा जीवन लगा दो। भगवान यदि प्रसन्न हैं तो उनकी सृष्टि भी प्रसन्न है। अपने आराध्य की आराधना से हमारी बुद्धि रूपी कन्या तो धन्य होगी ही, हम स्वयं भी धन्य हो जाएँगे।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१३ सितंबर २०२३
मेरी बुद्धि रूपी कन्या की आयु बहुत अधिक हो गई है। इसकी सुंदरता समाप्त हो गई है। यह सिर्फ भगवान से ही विवाह करना चाहती है, अन्य कोई इसे स्वीकार्य नहीं है। अपने मन, चित्त और अहंकार को भी दहेज में देना चाहता हूँ। भगवान को इन्हें स्वीकार तो करना ही पड़ेगा। प्रारब्ध ने चाहे ठोकरें मार मार कर मुझे दबा दिया है, लेकिन भगवान भी मेरे बिना रह नहीं सकते। उन्हें आना ही पड़ेगा।
ReplyDeleteअपनी बुद्धि रूपी कन्या का विवाह शिव से कर के निश्चिंत होना चाहता हूँ। उनसे अधिक अच्छा और कोई योग्य वर नहीं है। ॐ ॐ ॐ ॥
मैं भगवान का आभारी हूँ, जिन्होने जीवन में मुझे अनेक मित्रों के रूप में सत्संग-लाभ देकर मेरे हृदय में अपना परमप्रेम जागृत किए रखा, और मुझ अकिंचन को भी अपने हृदय में स्थान दिया|
ReplyDeleteअब भगवान के बारे में क्या लिखें? लिखने के लिए कुछ तो दूरी होनी चाहिए| वे स्वयं ही अवर्णनीय परमप्रेम हैं, जिनसे अब कोई दूरी नहीं रही है| उनके सिवाय अब कोई अन्य रहा ही नहीं है|
उन सब महान आत्माओं को भी नमन करता हूँ जिनके हृदय में भगवान के प्रति परम प्रेम है| ॐ ॐ ॐ !!