Monday, 11 November 2024

भगवान से मेरा संबंध व्यक्तिगत है, मैं उन्हें कैसे भी पुकारूँ, यह मेरा निजी मामला है ---

भगवान के अनेक नाम हैं, जिनमें से कुछ हैं -- "हरिः", "दुःखतस्कर", और "चोरजारशिखामणी" आदि। इन सब का एक ही अर्थ होता है - "चोर"। वे अपने भक्तों के दुःखों, कष्टों और अभावों की इतनी चुपचाप चोरी कर लेते हैं कि भक्त को पता ही नहीं चलता। मुझे पता नहीं था कि भगवान डाका भी डालते हैं। भगवान ने मुझे भी नहीं छोड़ा, आज सुबह सुबह बहुत बड़ा डाका डाल दिया, और चोरी भी कर ली।

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आज प्रातःकाल भगवान का ध्यान कर रहा था, कि भगवान ने मेरे हृदय पर ही डाका डाल दिया, मुझे और मेरा सामान उठाकर बाहर फेंक दिया। साथ में वहाँ जमा हुआ सारा कचरा भी साफ कर के स्वयं वहाँ विराजमान हो गए।
मैंने कहा - भगवन् अब मैं कहा जाऊँ? मैं बहुत ही असहाय और धनहीन हूँ, मेरा कोई अन्य आश्रय नहीं है। भगवान ने कहा - "तुम मेरे हृदय में रहो।"
अब से मेरा धन, मेरा आश्रय, एकमात्र संबंधी और मित्र सिर्फ भगवान ही हैं। जीवन के अंत समय तक उन्हीं का रहूँगा। वे ही मेरे तीर्थ हैं, वे ही मेरे आश्रम हैं, और वे ही मेरी एकमात्र गति हैं।
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ये सब भाव-जगत की बातें हैं, जिन्हें भगवान के प्रेमी ही समझ सकते हैं।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
११ नवंबर २०२२

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