हम जो कुछ भी हैं, वह अपने पूर्व जन्मों के कर्मफलों के कारण हैं, न की ईश्वर की इच्छा या कृपा से ---
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हमारा सौभाग्य और दुर्भाग्य, व सफलता और विफलता -- हमारे अपने स्वयं के कर्मफलों का परिणाम है, भगवान की इसमें कोई दखल नहीं है। भगवान न तो किसी को दुःख देते हैं, और न सुख। पूर्व जन्मों में हमने जो बीज बोये थे, उन्हीं की फसल अब हम काट रहे हैं। भगवान की किसी से न तो शत्रुता है और न किसी से कोई लोभ। जो और जैसा भी हमने सोचा है वह ही हमारा कर्म है और उसी का फल हम भोगेंगे। सारा कार्य प्रकृति सम्पन्न कर रही है।
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हमारे विचार और संकल्प, पूरी सृष्टि पर निश्चित रूप से अपना प्रभाव डालते हैं| यह सारी सृष्टि हमारे ही सामूहिक विचारों का घनीभूत रूप है| हमारे विचार पूरी सृष्टि से प्रतिबिंबित होकर हमारे ही पास लौटते हैं और हमारे जीवन को संचालित करते हैं| ये ही हमारे "कर्म" हैं जिनका फल हमें निश्चित रूप से मिलता है|
अतः हमारे विचार सदा शुभ हों| जैसा हम सोचते हैं, वैसे ही हम बन जाते हैं|
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सभी का कल्याण हो। ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
२८ मई २०२२
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