Monday, 10 June 2019

आसनं उपासनं, अच्युतस्य पादाम्बुजोपासनं .....

आसनं उपासनं, अच्युतस्य पादाम्बुजोपासनं .....
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भगवान अच्युत हैं, उन के चरण कमलों में आसन जमा लो| एक पुरानी कहानी है .... एक मछली मारने वाला मछुआरा नदी में जाल फैलाकर मछली पकड़ रहा था, वहीं एक संत नहा रहे थे| एक मछली ने संत को देखा और उन से प्रार्थना की कि हे महाराज, मुझे बचा लो| संत ने संकेत किया कि तुम मछुआरे के पाँव के पास चली जाओ| मछली मछुआरे के पाँव के पास ही रही, अंततः मछली जाल में नहीं फँसी, जाल से छूट गयी| यह जो मायाजाल जिसने फैलाया हुआ है, उसके चरणों में बैठ जाओ| मायाजाल में नहीं फँसोगे|
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दाल दली जा रही थी, आटा पिसा जा रहा था। उसमें था एक घुन जिसने अपने गुरुदेव का स्मरण किया| गुरुदेव ने कहा कि तुम कील के पास चले जाओ, जहाँ से चक्की घूमती है| वह तो बच गया, पर अन्य सारे पिस गए| यह संसार जिस कील पर घूम रहा है, यह मायाजाल जिसने बनाया है, उसके चरणों में जाकर बैठ जाओ| कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता|
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प्रार्थना :--- हे जगन्माता, हे परमशिव, जैसे सारी नदियाँ समुद्र में समाहित होती हैं वैसे ही ये सारी दृष्टियाँ आप में ही समाहित हैं| हमें इतनी सामर्थ्य दो की हम अपना दिव्य प्रेमरस .... शत्रु और मित्र दोनों में समान रूप में परोस सकें|
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इति शुभम् ! ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ जून २०१९

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