Saturday 16 June 2018

फेसबुक से विरक्ति .....

पिछले कई वर्षों से इस अतिअल्प और सीमित बुद्धि से जैसा भी समझ में आया और जैसी भी अंतर्प्रेरणा मिली उसी के अनुसार मुझसे कई लेख लिखे गए| मैं तो एक निमित्त मात्र ही था| एक अति अल्प और सीमित बुद्धि की भी एक सीमा होती है| मनुष्य की बुद्धि उसके अन्तःकरण का एक भाग है| जैसा अंतःकरण होता है वैसी ही बुद्धि हो जाती है| मैं मूल रूप से आध्यात्म मार्ग का एक अकिंचन साधक हूँ| साधना मार्ग ही मेरा पथ है जिस पर चल रहा हूँ और चलता रहूँगा|
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फेसबुक पर किसी भी अच्छे लेख को टाइप करने में बहुत समय लगता है| दिन में तीन-चार घंटे खर्च हो जाना तो सामान्य बात है| इस समय अंतर्प्रेरणा तो यही मिल रही है कि इस समय का उपयोग ध्यान साधना में किया जाए| ७० वर्ष की इस आयु में प्रतिदिन मुझे कम से कम कुल नित्य छः घंटे और सप्ताह में एक दिन तो कम से कम आठ घंटे भगवान का ध्यान करना चाहिए| यही सबसे बड़ी सेवा है जो मैं समष्टि और व्यष्टि के लिए कर सकता हूँ| अतः जब भी प्रेरणा मिलेगी, फेसबुक पर लिखूंगा अवश्य, पर अधिक से अधिक समय अन्यत्र व्यस्त रहूँगा|
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आप सब से जो प्यार और स्नेह मुझे मिला है उसके लिए मैं आप सब का आभारी हूँ| आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ साकार अभिव्यक्तियाँ हो| आप सब को साभार सप्रेम सादर नमन !
ॐ नमो नारायण ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ जून २०१८

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