ग्रेगोरियन नववर्ष एक वास्तविकता है जिसे हम झुठला नहीं सकते| जो कुछ भी हो रहा है जिसे हम बदल नहीं सकते, उसके लिए उपाय यही है कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ करें और अन्यों की आलोचना, निंदा व शिकायत न करें| दूसरों के कार्यों के लिए हम उत्तरदायी नहीं हैं, अतः उनका चिंतन न कर परमात्मा का ही चिंतन करें| यह नववर्ष पूर्णरूपेण उन अनंत के स्वामी को समर्पित है जिन्होनें स्वयं को माया के आवरण में छिपा रखा है| हैं तो वे भक्त-वत्सल ही, अतः अपनी संतानों की पुकार सुनकर उन्हें आना ही पड़ेगा| अब वे और छिप नहीं सकते| हमें उनकी परम चेतना में उनके परम साक्षात्कार से कम कुछ भी नहीं चाहिए|
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ग्रेगोरियन नववर्ष का आरम्भ १ जनवरी से है| आज ३१ दिसंबर की रात्री को सभी श्रद्धालु, परमात्मा का यथासंभव अधिकाधिक ध्यान करेंगे| जो भी साधक विश्व में चाहे वे कहीं पर भी हों, जब परमात्मा का ध्यान करते हैं तो परमात्मा में वे सब एक साथ ही होते हैंं, उन की कोई पृथकता नहीं होती| हमारे चारों ओर का वातावरण सतोगुण का होगा और भीतर से हम गुणातीत होंगे|
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ग्रेगोरियन नववर्ष का आरम्भ १ जनवरी से है| आज ३१ दिसंबर की रात्री को सभी श्रद्धालु, परमात्मा का यथासंभव अधिकाधिक ध्यान करेंगे| जो भी साधक विश्व में चाहे वे कहीं पर भी हों, जब परमात्मा का ध्यान करते हैं तो परमात्मा में वे सब एक साथ ही होते हैंं, उन की कोई पृथकता नहीं होती| हमारे चारों ओर का वातावरण सतोगुण का होगा और भीतर से हम गुणातीत होंगे|
ॐ श्रीगुरवे नमः ||
ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं |
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ||
एकं नित्यं विमलंचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् |
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ||
ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं |
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ||
एकं नित्यं विमलंचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् |
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ||
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम|
तस्मात कारुण्य भावेन रक्षस्व परमेश्वरः||
तस्मात कारुण्य भावेन रक्षस्व परमेश्वरः||
वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्क: प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व ।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वंसर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ॥
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हे अनंत के स्वामी, तुमने हमें जहाँ भी रखा है वहीं तुम्हें आना ही पड़ेगा| अब शीघ्रातिशीघ्र अभी इसी समय चले आओ, तुम्हारे बिना अब जीना संभव नहीं है| किसी भी तरह की दार्शनिक अवधारणाएँ अब और रोक नहीं सकतीं| किसी भी तरह का ज्ञान नहीं, हमें तो प्रत्यक्ष साक्षात्कार चाहिए| तुम्हें पाने के लिए हमारे ह्रदय में जल रही प्रचण्ड अग्नि और अभीप्सा को अपनी उपस्थिति से शांत करो| अब तो तुम्हें आना ही होगा क्योंकि बहुत देर हो हो चुकी है| तुम्हीं साधक हो, तुम्हीं साधना हो और तुम्ही साध्य हो| तुम ही तुम हो, हम नहीं| हे सच्चिदानंद, तुम्हें प्रणाम ! अब देर मत करो| यह नववर्ष तुम्हें ही समर्पित है| ॐ सच्चिदानंदाय नमः ||
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हे गुरु रूप परम ब्रह्म, मुझमें इतनी क्षमता नहीं है कि आपका ध्यान कर सकूँ| जब आप ही इस नौका के कर्णधार हैं, तो अब मेरी कोई कामना या अपेक्षा नहीं रही है| आपका साथ जब मिल ही गया है तो और कुछ भी नहीं चाहिए| आप ही साक्षात् परमब्रह्म हो| ॐ नमः शम्भवाय च, मयोभवाय च, नमः शंकराय च, मयस्कराय च, नमः शिवाय च, शिवतराय च||
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(1) समष्टि का कल्याण हो| (2) सम्पूर्ण भारतवर्ष में असत्य और अन्धकार की शक्तियों का नाश हो| (2) सनातन धर्म की सर्वत्र पुनर्प्रतिष्ठा हो| (3) भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर बिराजमान हों| (4) परमात्मा का साक्षात्कार .....जिस के लिए यह जन्म लिया है, वह कार्य संपन्न हो|
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ॐ स्वस्ति | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ |
कृपा शंकर
३१ दिसम्बर २०१७
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पुनश्चः : परमात्मा के ध्यान के लिए हर क्षण शुभ मुहूर्त है | कोई देश-काल या शौच-अशौच या गृह-नक्षत्रों का बंधन नहीं है| जब भी भगवान की याद आये तब उनका ध्यान करो |
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व ।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वंसर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ॥
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हे अनंत के स्वामी, तुमने हमें जहाँ भी रखा है वहीं तुम्हें आना ही पड़ेगा| अब शीघ्रातिशीघ्र अभी इसी समय चले आओ, तुम्हारे बिना अब जीना संभव नहीं है| किसी भी तरह की दार्शनिक अवधारणाएँ अब और रोक नहीं सकतीं| किसी भी तरह का ज्ञान नहीं, हमें तो प्रत्यक्ष साक्षात्कार चाहिए| तुम्हें पाने के लिए हमारे ह्रदय में जल रही प्रचण्ड अग्नि और अभीप्सा को अपनी उपस्थिति से शांत करो| अब तो तुम्हें आना ही होगा क्योंकि बहुत देर हो हो चुकी है| तुम्हीं साधक हो, तुम्हीं साधना हो और तुम्ही साध्य हो| तुम ही तुम हो, हम नहीं| हे सच्चिदानंद, तुम्हें प्रणाम ! अब देर मत करो| यह नववर्ष तुम्हें ही समर्पित है| ॐ सच्चिदानंदाय नमः ||
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हे गुरु रूप परम ब्रह्म, मुझमें इतनी क्षमता नहीं है कि आपका ध्यान कर सकूँ| जब आप ही इस नौका के कर्णधार हैं, तो अब मेरी कोई कामना या अपेक्षा नहीं रही है| आपका साथ जब मिल ही गया है तो और कुछ भी नहीं चाहिए| आप ही साक्षात् परमब्रह्म हो| ॐ नमः शम्भवाय च, मयोभवाय च, नमः शंकराय च, मयस्कराय च, नमः शिवाय च, शिवतराय च||
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(1) समष्टि का कल्याण हो| (2) सम्पूर्ण भारतवर्ष में असत्य और अन्धकार की शक्तियों का नाश हो| (2) सनातन धर्म की सर्वत्र पुनर्प्रतिष्ठा हो| (3) भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर बिराजमान हों| (4) परमात्मा का साक्षात्कार .....जिस के लिए यह जन्म लिया है, वह कार्य संपन्न हो|
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ॐ स्वस्ति | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ |
कृपा शंकर
३१ दिसम्बर २०१७
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पुनश्चः : परमात्मा के ध्यान के लिए हर क्षण शुभ मुहूर्त है | कोई देश-काल या शौच-अशौच या गृह-नक्षत्रों का बंधन नहीं है| जब भी भगवान की याद आये तब उनका ध्यान करो |
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