Saturday, 9 July 2016

सबसे बड़ी सेवा और सबसे बड़ा उपहार .....

सबसे बड़ी सेवा जो हम अपने स्वयं, परिवार, समाज, देश और विश्व की कर सकते हैं, और सबसे बड़ा उपहार जो हम इस सृष्टि को दे सकते हैं, वह है -- "आत्म-साक्षात्कार" यानि "भगवत्-प्राप्ति।
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निरंतर परमात्मा की चेतना में स्थित रहें, और यह बोध रखें कि हमारी आभा और स्पंदन -- पूरी सृष्टि और सभी प्राणियों की सामूहिक चेतना में व्याप्त हैं, और सब का कल्याण कर रहे हैं। परमात्मा की सर्वव्यापकता हमारी सर्वव्यापकता है, सभी प्राणियों और सृष्टि के साथ हम एक हैं। हमारा परमप्रेम सम्पूर्ण सृष्टि का कल्याण कर रहा है। मैं यह सीमित नश्वर शरीर नहीं, सर्वव्यापी अनंत ज्योतिर्मय परमशिव के साथ एक हूँ।
ॐ तत्सत् ॥ ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ जुलाई २०१६

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