भगवान की भक्ति, भगवान से कुछ लेने के लिए नहीं, उन्हें अपना पृथकत्व का मायावी बोध बापस लौटाने के लिए होती है| हम उन सच्चिदानंद भगवान के अंश हैं, वे स्वयं ही हमारे हैं और हम उनके हैं, अतः जो कुछ भी भगवान का ही, वह हम स्वयं हैं| हम उनके साथ एक हैं, उन से पृथक नहीं|
Friday, 31 October 2025
भगवान से हमें पृथक किसने किया है?
शांभवी मुद्रा --- एक स्वभाविक मुद्रा है जो ध्यान करते-करते धीरे धीरे स्वतः ही होने लगती है ---
शांभवी मुद्रा --- एक स्वभाविक मुद्रा है जो ध्यान करते-करते धीरे धीरे स्वतः ही होने लगती है। अगर पद्मासन और खेचरी का अभ्यास है तो शांभवी मुद्रा बहुत ही शीघ्र सिद्ध हो जाती है, अन्यथा थोड़ा समय लगता है। सारे उन्नत योगी शाम्भवी मुद्रा में ही ध्यानस्थ रहते हैं। सुखासन अथवा पद्मासन में बैठकर मेरुदंड को उन्नत रखते हुए साधक शिवनेत्र होकर अर्धोन्मीलित नेत्रों से भ्रूमध्य पर दृष्टी स्थिर रखता है। धीरे धीरे पूर्ण खेचरी या अर्ध-खेचरी भी स्वतः ही लग जाती है|
Thursday, 30 October 2025
सात व्याह्रतियों के साथ गायत्री मन्त्र और प्राणायाम ......
सात व्याह्रतियों के साथ गायत्री मन्त्र और प्राणायाम ......
अमानित्व, अदम्भित्व, व सत्यनिष्ठा बहुत बड़े गुण हैं, जो भगवान को प्रिय हैं ---
अमानित्व, अदम्भित्व, व सत्यनिष्ठा बहुत बड़े गुण हैं, जो भगवान को प्रिय हैं|
पूर्वाञ्चल (पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार) के सभी श्रद्धालुओं को कार्तिक शुक्ल षष्ठी को आने वाले छठ पर्व पर अभिनन्दन, नमन और शुभ कामनाएँ --------
पूर्वाञ्चल (पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार) के सभी श्रद्धालुओं को कार्तिक शुक्ल षष्ठी को आने वाले छठ पर्व पर अभिनन्दन, नमन और शुभ कामनाएँ --------
मानित्व (स्वयं में श्रेष्ठता का भाव), और दम्भित्व (झूठा दिखावटीपन) - ये दोनों पतन के मार्ग हैं ---
मानित्व (स्वयं में श्रेष्ठता का भाव), और दम्भित्व (झूठा दिखावटीपन) - ये दोनों पतन के मार्ग हैं। "मैं कुछ हूँ" -- का भाव निश्चित रूप से पतन के गर्त में धकेल देगा।
३१ अक्टूबर को पश्चिमी ईसाई देशों में मनाये जाने वाला Halloween का त्यौहार ---
३१ अक्टूबर को पश्चिमी ईसाई देशों में मनाये जाने वाला Halloween का त्यौहार यदि भारत में भी अंग्रेजों के कुछ मानस पुत्र मनाते हैं तो यह एक फूहड़ता के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है| यह अंधविश्वास की पराकाष्ठा है| यह भूतों को भगाने का त्यौहार है| कुछ लोग भूतों के से कपड़े पहिनते हैं और कुछ लोग उनसे भी अधिक डरावने कपड़े पहिन कर भूतों को डरा कर भगाते हैं| ऐसी कुरीतियों से मन में गलत संस्कार पड़ते हैं| अब तो इस कुत्सित त्योहार पर होने वाली सेक्स पार्टियों ने घोर यौन-पतन और मनोरोग का रूप ले लिया है।
विश्व में शांति कैसे स्थापित हो? ---
विश्व में शांति कैसे स्थापित हो? --- (भाग १)
अपना एक हाथ भगवान को थमा दो; भगवान हमारे दोनों हाथों को पकड़ कर हमारा उद्धार कर देंगे ---
अपना एक हाथ भगवान को थमा दो; भगवान हमारे दोनों हाथों को पकड़ कर हमारा उद्धार कर देंगे| हमारे जीवन में हमारी चाहे लाखों भूलें हों, यदि हम सत्यनिष्ठा से सुधरना चाहें तो भगवान हमारी हिमालय जितनी बड़ी-बड़ी लाखों भूलों को भी क्षमा कर देते हैं| अपना बुरा-भला सब कुछ भगवान को सौंप दो और उन्हीं के होकर रह जाओ|
दुर्भाग्य से वर्तमान में हिन्दू जाति का कोई भी राजनेता -- धर्मनिष्ठ और तेजस्वी नहीं है ---
दुर्भाग्य से वर्तमान में हिन्दू जाति का कोई भी राजनेता -- धर्मनिष्ठ और तेजस्वी नहीं है। धर्मनिष्ठ और तेजस्वी व्यक्ति तो बहुत हैं, लेकिन कोई राजनेता नहीं है। क्या ऐसा कोई तेजस्वी हिन्दू-धर्मनिष्ठ राजनेता है जिसे ---
जहाँ पर हम हैं, वहीं पर भगवान भी हर समय हमारे साथ एक हैं ---
जहाँ पर हम हैं, वहीं पर भगवान भी हर समय हमारे साथ एक हैं। वे हमारे बिना नहीं रह सकते। जिस आसन में स्थिर होकर हम सुख से बैठ सकते हैं - वही योगासन है। जिस आसन पर हम बैठे हैं, वहाँ से अनंत ब्रह्मांड में जहाँ तक हमारी कल्पना जाती है, वह सम्पूर्ण ब्रह्मांड हम स्वयं हैं, यह नश्वर देह नहीं।
हमारे शरीर का भ्रूमध्य -- पूर्व दिशा है, सहस्त्रार -- उत्तर दिशा है, बिंदु विसर्ग (शिखास्थल) -- पश्चिम दिशा है, और उससे नीचे का क्षेत्र दक्षिण दिशा है।
हमारे शरीर का भ्रूमध्य -- पूर्व दिशा है, सहस्त्रार -- उत्तर दिशा है, बिंदु विसर्ग (शिखास्थल) -- पश्चिम दिशा है, और उससे नीचे का क्षेत्र दक्षिण दिशा है।
सनातन-धर्म अमर है, यह कभी नष्ट नहीं हो सकता ---
सनातन-धर्म अमर है, यह कभी नष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि यह उन सत्य सनातन सिद्धांतों पर आधारित है, जिनसे यह सृष्टि चल रही है ---
Monday, 27 October 2025
सुषुम्ना के छः चक्रों में भागवत मन्त्र का जाप ....
सुषुम्ना के छः चक्रों में भागवत मन्त्र का जाप .....