अपनी मौत के कुछ दिनों बाद हर इंसान को वापस आ कर यह बताने का अवसर मिले कि मरने के बाद उसका कैसा अनुभव रहा?
Monday, 31 March 2025
अपनी मौत के कुछ दिनों बाद हर इंसान को वापस आ कर यह बताने का अवसर मिले कि मरने के बाद उसका कैसा अनुभव रहा?
सिर्फ राजयोग ही पर्याप्त नहीं है, साधना में सफलता के लिए हठयोग और तंत्र का ज्ञान भी आवश्यक है।
भगवान के और हमारे मध्य एक परम प्रेममयी सत्ता अवश्य है, जिसे हम जगन्माता या भगवती कहते हैं। इस विषय पर मैंने अपनी अति सीमित व अति अल्प बौद्धिक क्षमतानुसार बहुत अधिक चिंतन-मनन किया है।
Sunday, 30 March 2025
आत्म-साक्षात्कार (Self-Realization) ---
भारत कभी पराधीन नहीं था ---
भारत कभी पराधीन नहीं था। भारत क्यों पराजित हुआ? इस विषय पर मैनें खूब चिंतन किया है और जिन निष्कर्षों पर पहुँचा हूँ, उनका अति संक्षेप में यहाँ वर्णन कर रहा हूँ|
Saturday, 29 March 2025
बेरोजगारी दूर करने का पुराना चीनी तरीका जो वहाँ वर्षों पूर्व माओ के समय में कुछ काल के लिए था ---
सारे बेरोजगार सुबह आठ बजे लाइन में खड़े कर दिए जाते थे| हाथ में झाडू थमा कर सडकों की सफाई पर या कहीं अन्यत्र मजदूरी पर भेज दिया जाता था| किसी भी बेरोजगार को मिले हुए अपने काम को मना करने का अधिकार नहीं था| दो बार भोजन मिल जाता और सिगरेट पीने के लिए कुछ पैसा| कोई वेतन नहीं| जिसकी पदोन्नती हो जाती उसको कुछ अधिक पैसा शराब पीने को मिल जाता| जितनी पदोन्नती उतना ही अच्छा भोजन और एक जोड़ी अतिरिक्त ड्रेस| वेतन नहीं मिलता था| रहने और खाने की व्यवस्था हो जाती थी|
नवरात्रों में हवन ---
इन नवरात्रों में देश-विदेश में अनेक लोग हवन करने लगे हैं| हवन में जिन कंडों (उपलों/छाणो) का उपयोग किया जाये वे देशी गाय के गोबर के हों| घी भी देशी गाय के दूध से निर्मित हो| भैंस के दूध से बने घी का प्रयोग हवन में न करें| यदि संसाधनों की कमी हो तो कम से कम ११ आहुती ही दे दें| पर दें अवश्य| १०८ आहुतियाँ दे सकें तो सर्वश्रेष्ठ है|
"राजस्थान स्थापना दिवस" की शुभ कामनाएँ .....
"राजस्थान स्थापना दिवस" की शुभ कामनाएँ .....
यह हमारी नहीं, भगवान की समस्या है कि वे कब हमें दर्शन दें ---
यह हमारी नहीं, भगवान की समस्या है कि वे कब हमें दर्शन दें ---
धर्मं-निरपेक्ष और धर्महीन व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं हो सकता ---
धर्मं-निरपेक्ष और धर्महीन व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं हो सकता। जीवन में सुख-शांति-सुरक्षा व संपन्नता का एकमात्र स्त्रोत परमात्मा है। मार्क्सवादी देशों का मुझे प्रत्यक्ष अनुभव है, वहाँ कोई सुख-शांति नहीं है। यही हाल इस्लामी व ईसाई देशों का है। भारत में लोग सुखी थे, क्योंकि वे संतुष्ट थे। अन्न की कोई कमी नहीं थी। उनके जीवन में आध्यात्म था। देश की सत्ता में शासक वर्ग ऐसा हो जिसे इस राष्ट्र की संस्कृति और अस्मिता से प्रेम हो। . हृदय के द्वार खुले हैं, और खुले ही रहेंगे। भगवान हर समय मेरे साथ एक हैं। वे एक क्षण के लिए भी मेरी दृष्टि से अब ओझल नहीं हो सकते। सारा वर्तमान उनको समर्पित है। भूत और भविष्य का विचार अब कभी जन्म नहीं ले सकता। कोई अंधकार नहीं, प्रकाश ही प्रकाश है। उनके सिवाय कोई भी अन्य नहीं है। केवल वे ही वे हैं। वे ही यह मैं बन गए हैं। .
"किसी भी परिस्थिति में हमें यज्ञ, दान व तप रूपी कर्मों को (यानि भक्ति व साधना को) नहीं छोडना चाहिए।"
पप्पी दुश्चरित्र पुराण !
पप्पी दुश्चरित्र पुराण !
हे चित्तचोर, तुम्हारी जय हो ---
भगवान श्रीहरिः जब तक हमारा चित्त न चुराएँ, तब तक कोई भी आध्यात्मिक साधना सफल नहीं हो सकती| वे हमारा चित्त ही नहीं, पूरा अंतःकरण ही चुराएँ, तभी हम सफल हो सकते हैं| जो सफल हुए हैं उनका रहस्य उनसे पूछिये| पहिले उनका मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार ..... चोरी हुआ, तभी वे सफल हुए| आध्यात्म में खुद के प्रयासों से कभी सफलता नहीं मिलती| माँ भगवती स्वयं ही हृदय में आकर भक्ति करे तभी हम सफल हो सकते हैं|
Friday, 28 March 2025
आज नहीं तो कल, कभी तो उनकी कृपा होगी ही, हम सदा अंधकार में नहीं रह सकते ---
आज नहीं तो कल, कभी तो उनकी कृपा होगी ही| हम सदा अंधकार में नहीं रह सकते| हमारी उच्च प्रकृति में परमात्मा के सिवाय अन्य कुछ भी नहीं है| लेकिन निम्न प्रकृति दलदल में है| कोई भी माता हो अपनी संतान को संकट में नहीं देख सकती| जगन्माता जिसने इस सारे ब्रह्मांड को धारण कर रखा है, वह कभी निष्ठुर नहीं हो सकती| इस दलदल से मुझे विरक्त और मुक्त तो उन्हें करना ही होगा|
हमारी रक्षा धर्म ही करेगा, लेकिन तभी करेगा -- जब हम धर्म की रक्षा करेंगे ---
२९ मार्च २०२१
पशुपतिनाथ भगवान शिव से प्रार्थना :---
पशुपतिनाथ भगवान शिव से प्रार्थना :---
मन लगे या न लगे, चाहे यंत्र की तरह ही करनी पड़े, किसी भी परिस्थिति में ईश्वर की साधना हमें नहीं छोड़नी चाहिए ---
२९ मार्च २०२३
रामनवमी के त्योहार और माँ सिद्धिदात्री की आराधना के साथ नवरात्रों के समापन की अनंत मंगलमय शुभ कामनायें ---
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने॥"
मेरे पास अधिक समय नहीं बचा है, मेरे समक्ष दो मार्ग हैं ---
मेरे पास अधिक समय नहीं बचा है। मेरे समक्ष दो मार्ग हैं। दो शक्तियाँ मुझ पर कार्य कर रही हैं। एक शक्ति मुझे अधोमार्ग पर ले जाना चाहती है। यह पतन का मार्ग बहुत अधिक आकर्षक और सरल है। मेरे चारों ओर का वातावरण, लगभग सारी परिस्थितियाँ, और सभी लोग उसमें सहायक हैं। अज्ञानतावश लगभग सभी उसी पर अग्रसर हो रहे हैं। मेरी अंतर्रात्मा विद्रोह कर रही है। मैं उस मार्ग का पथिक नहीं हो सकता। जो लोग बाहर से आध्यात्म की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, उन सब का अन्तःकरण लालसाओं से भरा हुआ है, और वे सब पतन के मार्ग पर अग्रसर पथिक हैं।
इतना स्वार्थी नहीं हूँ, कि अपने समक्ष आई हुई विकट परिस्थितियों में निरपेक्ष रह सकूँ ---
मेरी पीड़ा :--- कल २६ मार्च को मैंने तय किया था कि फेसबुक और ट्वीटर पर सात दिन तक नहीं आऊँगा| पर अब परिस्थितियाँ बदल गई हैं| इतना स्वार्थी नहीं हूँ, कि अपने समक्ष आई हुई विकट परिस्थितियों में निरपेक्ष रह सकूँ| जिस समाज में मैं रहता हूँ उस की स्थिति वास्तव में बड़ी खराब है| इस समाज में जैसी लोगों की सोच है उससे उत्पन्न परिस्थितियाँ बड़ी दयनीय हैं| अपनी पीड़ा और अपनी भावनाओं को व्यक्त किए बिना मैं नहीं रह सकता| इस अभिव्यक्ति का माध्यम वर्तमान में फेसबुक ही है| अतः घूम-फिर कर बापस यहीं आ जाता हूँ|
विजय सदा धर्म की ही हो, और अधर्म का नाश हो| भगवान हमें इस योग्य बनाए कि हम धर्म की रक्षा कर सकें| भगवान ने भी वचन दिया है .....
विजय सदा धर्म की ही हो, और अधर्म का नाश हो| भगवान हमें इस योग्य बनाए कि हम धर्म की रक्षा कर सकें| भगवान ने भी वचन दिया है .....
भगवान विष्णु की आराधना के पर्व 'होली' पर आपकी आध्यात्मिक सफलता, स्वास्थ्य (स्व+स्थः), सुख-शान्ति, सद्भावना, निरंतर अभ्युदय व निःश्रेयस की सिद्धि, और सभी आध्यात्मिक विभूतियों की उपलब्धि, के लिए प्रार्थना करता हूँ|
भगवान विष्णु की आराधना के पर्व 'होली' पर आपकी आध्यात्मिक सफलता, स्वास्थ्य (स्व+स्थः), सुख-शान्ति, सद्भावना, निरंतर अभ्युदय व निःश्रेयस की सिद्धि, और सभी आध्यात्मिक विभूतियों की उपलब्धि, के लिए प्रार्थना करता हूँ| यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है| आज की दारुण-रात्री का पूरा लाभ उठाएँ और अपने आत्म-स्वरुप यानि सर्वव्यापी परमात्मा का ध्यान रात्रि में कम से कम पाँच-छः घंटों तक करें| इस रात्रि को किया गया ध्यान, जप-तप, भजन --- कई गुणा अधिक फलदायी होता है| गीता के छठे अध्याय का स्वाध्याय, और द्वादशाक्षरी भागवत मंत्र का यथासंभव खूब जाप करें|
भगवान हमें निमित्त बनाकर सनातन-धर्म और भारत की रक्षा करें ---
भगवान हमें निमित्त बनाकर सनातन-धर्म और भारत की रक्षा करें ---
Thursday, 27 March 2025
हमारी सबसे बड़ी समस्या है --- निरंतर भगवान की चेतना में कैसे रहें?
हमारी सबसे बड़ी समस्या है --- निरंतर भगवान की चेतना में कैसे रहें? भगवान से हमारा अनुराग/परमप्रेम कैसे हर समय बढ़ता रहे?
Wednesday, 26 March 2025
मेरा कर्मयोग परमात्मा में पूर्ण समर्पण है।
मेरा कर्मयोग परमात्मा में पूर्ण समर्पण है। यह शरीर रहे या न रहे, इसका कोई महत्व नहीं है। महत्व इसी बात का है कि निज जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हो। जहाँ तक मेरी कल्पना जाती है, भगवान के सिवाय कोई अन्य नहीं है। केवल वे ही हैं। सारे दुःख-सुख, अभाव और भाव -- सब कुछ वे ही हैं। .