हम अपनी अस्मिता की रक्षा कैसे करें?
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हमारी राष्ट्रीय/सामाजिक समस्याएँ एक जलते हुए घर की सी हैं| उस जलते हुए घर की रक्षा कैसे करें? इस पर चिंतन व्यावहारिक हो, सैद्धान्तिक नहीं| हमें अपने अस्तित्व, अपने धर्म, समाज, राष्ट्र व देश की रक्षा स्वयं करनी होगी| हमारी रक्षा करने कोई दूसरा नहीं आयेगा| भगवान भी तभी हमारी रक्षा करेंगे जब अपनी रक्षा हम स्वयं करेंगे| हम अपनी रक्षा करने में पूर्ण रूप से समर्थ हों|
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"राष्ट्रीय स्वयं संघ" की संघटन पद्धति सर्वश्रेष्ठ है, पर उसमें आध्यात्म नहीं है| आध्यात्म में भी अनेक धाराएँ हैं, अनेक मार्ग हैं| कौन से मार्ग का चुनाव करें? एक ही मार्ग सभी के लिए नहीं हो सकता| इसलिए संघ में भगवा-ध्वज को ही गुरु का स्थान दिया गया है| संघ में गुरु कोई व्यक्ति नहीं है, बल्कि भगवा-ध्वज ही गुरु है, जो त्याग-तपस्या व तेजस्विता का प्रतीक है| फिर भी बिना ईश्वर के वहाँ पर एक अभाव ही है|
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हमें निज जीवन में देवत्व की शक्तियों को अर्जित करना ही होगा| एक ब्रह्मतेज स्वयं में प्रकट करना होगा तभी अन्य गुण जैसे क्षत्रियत्व, वाणिज्य, कला, कौशल व सेवाभाव आदि आएंगे| इस दिशा में कुछ संस्थाएँ बहुत अच्छा कार्य कर रही है, जिन में ज़ोर उपासना पर है, फिर संगठन पर| जो भी विचारधारा हमारी प्रकृति के अनुकूल है, उसका सहयोग हमें लेना चाहिए और देना भी चाहिए| लेकिन यह न भूलें कि हमारा लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार यानि ईश्वर की प्राप्ति है| जो भी संस्था, गुरु या संत-महात्मा, हमारे में भक्ति यानि परमात्मा के प्रति प्रेम जागृत न कर सके, और हमें परमात्मा की ओर चलने की निरंतर प्रेरणा व मार्ग-दर्शन न दे सके, उन्हें तुरंत छोड़ देना चाहिए|
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अपने निज जीवन में परमात्मा के प्रति परम प्रेम जागृत करें, व परमात्मा को अपने आचरण में व्यक्त करें| अपने दिन का आरंभ और समापन परमात्मा के यथासंभव गहनतम ध्यान से करें| हर समय परमात्मा का स्मरण करें| अपनी चेतना भ्रूमध्य से ऊपर रखें|
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भारतवर्ष एक अखंड परम वैभवशाली आध्यात्मिक राष्ट्र बने| भारत की राजनीति सनातन धर्म हो| भारत माता की जय|
आप अब महान आत्माओं को नमन ! ॐ तत्सत् ||
कृपा शंकर
२ अगस्त २०२०
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