धर्म और संस्कृति के पतन का समाधान.....
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भारतवर्ष में धर्म और संस्कृति के ह्रास और पतन से मैं बहुत व्यथित हूँ| मेरी भावनाएँ बहुत आहत हैं| इस के समाधान की संभावना भी है जो हम कर सकते हैं|
पूरी सृष्टि परमात्मा के संकल्प से बनी है| परमात्मा से जुड़कर, उसके संकल्प से जुड़कर ही कोई समाधान निकल सकता हैं| इसके लिए समर्पण और साधना करनी होगी| किसी भी विषयपर बिना उस विषय के प्रत्यक्ष अनुभव के, किसी भी तरह के बौद्धिक निर्णय पर पहुँचना, अहंकार का लक्षण है जो एक अज्ञानता ही है| ऐसा नहीं होना चाहिए| भगवान भुवन-भास्कर उदित होने पर कभी नहीं कहते की मैं आ गया हूँ| उनकी उपस्थिति मात्र से सभी प्राणी उठ जाते हैं| उनकी उपस्थिति में कहीं भी कोई अन्धकार नहीं रहता| उनकी तरह ही निज जीवन को ज्योतिर्मय बनाना होगा तभी अन्धकार और अज्ञानता को दूर कर समाज और राष्ट्र को आलोकित किया जा सकता है| सिर्फ बुद्धि से हम किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँच सकते| किसी भी मान्यता के पीछे निज अनुभव भी होना चाहिए|
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हम सब के जीवन में शुभ ही शुभ हो| हम सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्तियाँ हैं| सब में हृदयस्थ परमात्मा को प्रणाम! ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ अक्तूबर २०१३
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भारतवर्ष में धर्म और संस्कृति के ह्रास और पतन से मैं बहुत व्यथित हूँ| मेरी भावनाएँ बहुत आहत हैं| इस के समाधान की संभावना भी है जो हम कर सकते हैं|
पूरी सृष्टि परमात्मा के संकल्प से बनी है| परमात्मा से जुड़कर, उसके संकल्प से जुड़कर ही कोई समाधान निकल सकता हैं| इसके लिए समर्पण और साधना करनी होगी| किसी भी विषयपर बिना उस विषय के प्रत्यक्ष अनुभव के, किसी भी तरह के बौद्धिक निर्णय पर पहुँचना, अहंकार का लक्षण है जो एक अज्ञानता ही है| ऐसा नहीं होना चाहिए| भगवान भुवन-भास्कर उदित होने पर कभी नहीं कहते की मैं आ गया हूँ| उनकी उपस्थिति मात्र से सभी प्राणी उठ जाते हैं| उनकी उपस्थिति में कहीं भी कोई अन्धकार नहीं रहता| उनकी तरह ही निज जीवन को ज्योतिर्मय बनाना होगा तभी अन्धकार और अज्ञानता को दूर कर समाज और राष्ट्र को आलोकित किया जा सकता है| सिर्फ बुद्धि से हम किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँच सकते| किसी भी मान्यता के पीछे निज अनुभव भी होना चाहिए|
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हम सब के जीवन में शुभ ही शुभ हो| हम सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्तियाँ हैं| सब में हृदयस्थ परमात्मा को प्रणाम! ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ अक्तूबर २०१३
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