Saturday, 6 July 2019

प्रत्येक सूर्योदय परमात्मा की ओर से एक सन्देश है .....

प्रत्येक सूर्योदय परमात्मा की ओर से एक सन्देश है .....
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प्रत्येक सूर्योदय परमात्मा की ओर से एक सन्देश है, और प्रत्येक सूर्यास्त परमात्मा का हस्ताक्षर है| ब्रह्ममुहूर्त में जगन्माता की गोद से उठकर अपने दिन का आरम्भ परमात्मा के गहनतम ध्यान से करें| पूरे दिन परमात्मा की स्मृति बनाए रखें| जब भी समय मिले परमात्मा का ध्यान करें| रात्री को सोने से पूर्व पुनश्चः परमात्मा का गहनतम ध्यान कर के जगन्माता की गोद में ही निश्चिन्त होकर एक छोटे बालक की तरह सो जाएँ| हम बिस्तर पर नहीं, माँ भगवती की गोद में सोते हैं, सिर के नीचे कोई तकिया नहीं, माँ भगवती का वरद हस्त होता है| जिसने सारी सृष्टि का भार उठा रखा है वह हम अकिंचन की देखभाल करने में समर्थ है| सारी चिंताएँ उन्हें सौंप दें| एकमात्र कर्ता वे ही हैं|
गीता में भगवान कहते हैं ....
"अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते| तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्||९:२२||
अर्थात् "अनन्य भाव से मेरा चिन्तन करते हुए जो भक्तजन मेरी ही उपासना करते हैं, उन नित्ययुक्त पुरुषों का योगक्षेम मैं वहन करता हूँ||"
इस से बड़ा आश्वासन और क्या हो सकता है?
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उन्हें हृदय के गहनतम भावों से नमन है .....
"वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च|
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते||११:३९||"
"नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व|
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः||११:४०||
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भजन .....
मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।
जो भी अपने पास है, वह धन किसी का है दिया।
देने वाले ने दिया, वह भी दिया किस शान से।
"मेरा है" यह लेने वाला, कह उठा अभिमान से
"मैं", ‘मेरा’ यह कहने वाला, मन किसी का है दिया।
मैं नहीं......
जो मिला है वह हमेशा, पास रह सकता नहीं।
कब बिछुड़ जाये यह कोई, राज कह सकता नहीं।
जिन्दगानी का खिला, मधुवन किसी का है दिया।
मैं नहीं......
जग की सेवा खोज अपनी, प्रीति उनसे कीजिये।
जिन्दगी का राज है, यह जानकर जी लीजिये।
साधना की राह पर, यह साधन किसी का है दिया।
जो भी अपने पास है, वह सब किसी का है दिया।
मैं नहीं......
(प्रचलित भजन)
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ जून २०१९

1 comment:

  1. अपने दिन का आरम्भ भगवान के गहनतम ध्यान से करें| पूरे दिन भगवान को अपनी स्मृति में रखें और रात्री को सोने से पूर्व पुनश्चः गहनतम ध्यान कर के ही सोयें| भगवान ने हमें एक दिन में २४ घंटे दिए हैं, उसका दस प्रतिशत भाग यानि लगभग २.५ घंटे तो एक दिन में भगवान को समर्पित होने ही चाहियें, जिनमें सिर्फ भगवान का ही ध्यान हो| जब तक भगवान हमारे हृदय में धड़क रहे हैं तभी तक बाहर का विश्व है| जिस क्षण भगवान हमारे हृदय में धड़कना बंद कर देंगे उसी क्षण हमारा सब कुछ छिन जाएगा, धन, संपत्ति, घर, परिवार मित्र, सगे-सम्बन्धी यहाँ तक कि यह पृथ्वी भी|

    भगवान ही हमारे शाश्वत मित्र हैं, जन्म से पूर्व भी वे ही थे और मृत्यु के पश्चात भी वे ही रहेंगे| वे ही माता-पिता, भाई-बहिनों और सम्बन्धियों-मित्रों के रूप में आये और वे ही सदा साथ रहेंगे| हमें जो भी प्यार मिला है वह सब भगवान का ही प्यार था जो उन्होंने विभिन्न रूपों में दिया| अतः ऐसे शाश्वत प्रेमी से मित्रता और सम्बन्ध बनाए रखना सर्वोत्तम है|

    यह संसार एक पाठशाला है जहाँ यह पाठ हमें निरंतर पढ़ाया जा रहा है| वह पाठ सबको एक न एक दिन तो सीखना ही पड़ेगा| यह हमारी मर्जी है कि हम उसे देरी से सीखें या शीघ्र| पर जो नहीं सीखेंगे, उन्हें प्रकृति ही सीखने को बाध्य कर देगी| अतः भगवान से प्रेम करो, यही इस जीवन का सार है|

    ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!

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