इस जीवात्मा को परमात्मा से किसने जोड़ रखा है?
Sunday, 29 June 2025
इस जीवात्मा को परमात्मा से किसने जोड़ रखा है?
भगवान क्या खाते हैं ?? इसका उत्तर भगवान स्वयं देते हैं ---
भगवान क्या खाते हैं ?? इसका उत्तर भगवान स्वयं देते हैं --
साकार या निराकार ? .....
साकार या निराकार ? .....
उलटा कुआँ गगन में, तिसमें जरै चिराग ---
उलटा कुआँ गगन में, तिसमें जरै चिराग ---
भारत और विश्व में हिंदुओं की और सनातन धर्म की रक्षा कौन करेगा ?
भारत और विश्व में हिंदुओं की और सनातन धर्म की रक्षा कौन करेगा ?
Saturday, 28 June 2025
जैसे चुम्बक की सूई का मुख सदा उत्तर दिशा की ओर होता है, ---
जैसे चुम्बक की सूई का मुख सदा उत्तर दिशा की ओर होता है, वैसे ही मेरी चेतना स्वाभाविक रूप से सदा परमशिव परमात्मा की ओर ही रहती है। वे उत्तर दिशा (सहस्त्रारचक्र से बहुत ऊपर ऊर्ध्वस्थ) में परम ज्योतिर्मय रूप में विराजमान हैं, और दक्षिणामूर्ति गुरु रूप में उनका अनुग्रह निरंतर वरष रहा है। मैं धन्य हूँ, मेरा यह जीवन धन्य है कि मुझे उनकी परम कृपा अनुभूत हो रही है।
"अब प्रभु कृपा करहु एहि भाँति। सब तजि भजनु करौं दिन राती॥"
"अब प्रभु कृपा करहु एहि भाँति। सब तजि भजनु करौं दिन राती॥"
भगवान यदि मुझसे प्रसन्न नहीं हैं तो कोई दूसरा भक्त ढूंढ़ लें ---
भगवान यदि मुझसे प्रसन्न नहीं हैं तो कोई दूसरा भक्त ढूंढ़ लें। इससे अधिक भक्ति और समर्पण मेरे द्वारा संभव नहीं है। यह उनकी समस्या है, मेरी नहीं।
"धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो।"
भगवान का बड़े से बड़ा आश्वासन ---
भगवान का बड़े से बड़ा आश्वासन ---
धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा है ---
जैसे जैसे मैं इस लोकयात्रा में आगे बढ़ता जा रहा हूँ, यह प्रत्यक्ष अनुभूत कर रहा हूँ कि धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा है। हम यथासंभव अपने धर्म का पालन करें, यही रक्षा हम अपने धर्म की कर सकते हैं। हमारा समाज विश्व का सबसे अधिक जागृत, संगठित और प्रबुद्ध समाज है। इसे जगाने की नहीं, स्वयं के जागने की आवश्यकता है। हम स्वयं तो जागते नहीं, और बातें करते हैं समाज को जगाने की। यह अनुचित और गलत है।
मैं एक अज्ञात प्रेरणावश केवल आत्म-संतुष्टि के लिए कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ ---
मैं एक अज्ञात प्रेरणावश केवल आत्म-संतुष्टि के लिए कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ। लिखने का अन्य कोई उद्देश्य नहीं है। एक अत्यधिक गहन जिज्ञासावश सनातन धर्म की सभी प्रमुख परम्पराओं के साहित्य का पर्याप्त स्वाध्याय, और प्रायः सभी प्रमुख संप्रदायों के महात्माओं के साथ सत्संग किया था।
स्वधर्म और परधर्म व अन्य संबन्धित विषय ---
स्वधर्म और परधर्म व अन्य संबन्धित विषय ---
अलादीन के चिराग का जिन्न और हमारा चित्त दोनों एक जैसे ही हैं ---
अलादीन के चिराग का जिन्न और हमारा चित्त दोनों एक जैसे ही हैं...
भारत को देसी गायों के गोवंश से विहीन करने का अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र ---
जिस तरह भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था और कृषि व्यवस्था नष्ट कर दी गयी थी, उसी तरह भारत को देसी गायों के गोवंश से विहीन करने का तो निश्चित रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा है| एक देसी गाय को बहुत ऊँची कीमत पर खरीदा जाता है और उससे दुगुणी कीमत पर गोमांस का निर्यात कर दिया जाता है|
चित्त को कहाँ लगाएँ ---
चित्त को कहाँ लगाएँ ---
शबद अनाहत बागा ......
शबद अनाहत बागा ......