Wednesday, 10 January 2018

समाज में एकता कैसे स्थापित हो ? .....

समाज में एकता कैसे स्थापित हो ? .....
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समाज में एकता स्थापित करने के लिए समान विचारधारा के लोगों का या तो दैनिक, या साप्ताहिक या पाक्षिक अंतराल से एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान पर आपस में एक दूसरे से मिलना अति आवश्यक है| वह मिलना चाहे सामाजिक रूप से हो या धार्मिक या राष्ट्र आराधना हेतु|
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मस्जिदों में मुस्लिम समाज के लोग दिन में पाँच बार एक निश्चित समय पर निश्चित स्थान पर एकत्र होते हैं, इस से उनमें एकता और भाईचारा बना रहता है| यही उनकी शक्ति और एकता का रहस्य है|
संघ के स्वयंसेवक दिन में एक बार एक निश्चित स्थान पर खेलने के लिए एकत्र होते हैं, फिर एक साथ प्रार्थना करते हैं| यह उनके संगठन की शक्ति का रहस्य है|
पुराने जमाने में हिन्दू समाज के लोग भगवान की आराधना के लिए प्रातःकाल या सायंकाल नियमित रूप से मंदिरों में जाते थे| वहाँ उनका आपस में एक-दूसरे से मिलना-जुलना हो जाता था| इस से उनमें भाईचारा और प्रेम बना रहता था| अब मंदिरों में नियमित जाना बंद कर दिया तो इस से समाज में एकता समाप्त हो रही है|
कई क्लबों के सदस्य महीने में एक या दो बार नियमित रूप से सभा कर के एक-दूसरे से मिलते हैं| इस से उनमें प्रेम और भाईचारा बना रहता है|
आज से कुछ वर्षों पूर्व तक हिन्दू समाज के लोग एक दूसरे से होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर एक दूसरे से राम-रमी यानी अभिनन्दन करने के लिए मिलते थे| इस से समाज में प्रेम बना रहता था| अब वह परम्परा समाप्तप्राय है|
मेरे कई परिचित मित्र साप्ताहिक सत्संग करते हैं| सभी सत्संगियों में बड़ा प्रेम बना रहता है|
चर्चों में सभी सदस्यों का शनिवार या रविवार को प्रार्थना सभा में जाना अनिवार्य है| पादरी बराबर निगाह रखता है कि कौन आया और कौन नहीं आया| कोई नहीं आता तो उसको बुलाने के लिए एक आदमी भेज दिया जाता है| इस से उनके समाज में एकता बनी रहती है|
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समाज में सामान विचारधारा के लोगों को एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान पर आपस में मिलना जुलना बड़ा आवश्यक है| इसी पद्धति से हम समाज में एकता स्थापित कर सकते हैं, अन्य कोई मार्ग नहीं है|
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सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०९ जनवरी २०१८

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