इस राष्ट्र में धर्म रूपी बैल पर बैठकर भगवान शिव ही विचरण करेंगे, और
भगवान श्रीकृष्ण की ही बांसुरी बजेगी जो नवचेतना को जागृत करेगी| सनातन
धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा होगी व असत्य और अन्धकार की शक्तियों का निश्चित
रूप से नाश होगा| हमारे हृदय के एकमात्र राजा भगवान श्रीराम हैं| उन्होंने
ही सदा हमारी ह्रदय भूमि पर राज्य किया है, और सदा वे ही हमारे राजा
रहेंगे| अन्य कोई हमारा राजा नहीं हो सकता| हमारे ह्रदय की एकमात्र महारानी
सीता जी हैं| वे हमारे ह्रदय की अहैतुकी परम प्रेमरूपा भक्ति हैं|
वे ही हमारी गति हैं| वे ही सब भेदों को नष्ट कर हमें राम से मिला सकती
हैं, अन्य किसी में ऐसा सामर्थ्य नहीं है| हमारे शत्रु कहीं बाहर नहीं,
हमारे भीतर ही अवचेतन मन में छिपे बैठे विषय-वासना रुपी रावण और प्रमाद
रूपी महिषासुर हैं|
राम से
एकाकार होने तक इस ह्रदय की प्रचंड अग्नि का दाह नहीं मिटेगा, और राम से
पृथक होने की यह घनीभूत पीड़ा हर समय निरंतर दग्ध करती रहेगी| राम ही हमारे
अस्तित्व हैं और उनसे एक हुए बिना इस भटकाव का अंत नहीं होगा| उन से जुड़कर
ही हमारी वेदना का अंत होगा| ॐ ॐ ॐ !!
११ अक्तूबर २०१९
११ अक्तूबर २०१९
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