(प्रश्न) :--- हम क्या उपासना करें? किस देवता की आराधना करें? कौन सा मार्ग सर्वश्रेष्ठ है?
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(उत्तर) :--- जिस उपासना से मन की चंचलता शांत हो, परमात्मा से प्रेम और समर्पण का भाव बढ़े, वही उपासना सार्थक है, अन्य सब निरर्थक हैं।
स्वभाविक रूप से भगवान का जो भी रूप हमें सब से अधिक प्रिय है, उसी की आराधना करें।
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ध्यान या तो हम भगवान शिव का करते हैं, या भगवान विष्णु या उनके अवतारों का। अधिकांश योगी ज्योतिर्मय ब्रह्म के साथ साथ प्रणव का भी ध्यान करते हैं। यह भगवान का निराकार रूप है। निराकार का अर्थ है -- सारे आकार जिसके हों।
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उपदेश हम किसी ब्रहमनिष्ठ श्रौत्रीय (जिसे श्रुतियों का ज्ञान हो) आचार्य से ही ग्रहण करें। अंत में एक बात याद रखें कि बिना भक्ति (परमप्रेम) व सत्यनिष्ठा के कोई साधना सफल नहीं होती।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
४अक्टूबर २०२४
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