Saturday, 31 May 2025

आज ३१ मई २०२५ को महारानी अहिल्याबाई होळकर की तीनसौवीं जयंती है ---

आज ३१ मई २०२५ को अङ्ग्रेज़ी तिथि के अनुसार सत्य-सनातन हिन्दू-धर्म की महान उद्धारकर्ता, भगवान शिव की मानस-पुत्री, पुण्यश्लोका महारानी अहिल्याबाई होळकर की तीनसौवीं जयंती है (जन्म : ३१ मई १७२५. मृत्यु १३ अगस्त १७९५) (राज्यकालावधी १७६७ - १७९५ई.) उस कालखंड में वे सत्य-सनातन हिन्दू-धर्म की महान उद्धारकर्ता थीं। उन्होने इंदौर नगर की स्थापना की व वहीं से मालवा पर शासन किया।

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काशी का वर्तमान विश्वनाथ मंदिर, गया का विष्णुपद मंदिर, सोमनाथ के भग्नावशेषों के समीप दूसरा सोमनाथ मंदिर, पूरे देश में सैंकड़ों घाटों, गोचर-भूमियों, और मंदिरों के पुनरोद्धार का महान कार्य उन्होंने किया। वे हजारों साधु-संतों और तपस्वी ब्राह्मणों के लिए माता के समान थीं। अपने राज्य में निःशुल्क शिक्षा के लिये अनेक गुरुकुलों की व्यवस्था की। उन्होने वह कर दिखाया जो अन्य पराक्रमी हिन्दू शासक न कर सके।
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उनके श्वसुर महाराजा मल्हार राव होल्कर अपनी मराठा सेना के साथ ज्ञानवापी को मुक्त कराने के लिये काशी आये थे। लेकिन वहाँ के (मुगलों से आतंकित) लोग हाथ जोड़कर खड़े हो गये और कहा कि आप तो ज्ञानवापी को मुक्त करा कर बापस महाराष्ट्र चले जाओगे, लेकिन मुगलों की सेना बापस आकर हमें जान से मार देगी। बड़े दुखी मन से महाराजा मल्हारराव बापस लौट गये।
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लेकिन उनकी पुत्रवधू महारानी अहिल्याबाई वहाँ अपनी सेना के साथ गयीं और ज्ञानवापी के बिलकुल पास में ही भगवान विश्वनाथ का नया मंदिर बनवाकर और प्राण-प्रतिष्ठा करवा कर ही लौटीं। मंदिर के शिखर पर जो सोना चढ़ा हुआ हुआ है वह पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह जी ने भेजा था।
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महारानी अहिल्या बाई होल्कर पर मैं तीन-चार विस्तृत लेख लिख चुका हूँ। अधिक लिखूंगा तो पुनरावृति दोष होगा। इसलिए और नहीं लिख रहा। सभी को नमन !! महारानी अहिल्याबाई को नमन !!
कृपा शंकर
३१ मई २०२५

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