सत्य सनातन धर्म --ही इस सृष्टि का प्राण है . यही प्राण-तत्व है, जिसने इस सारी सृष्टि को धारण कर रखा है। प्राण-तत्व से ही ऊर्जा निर्मित हुई है, जिससे सृष्टि का निर्माण हुआ। प्राण-तत्व से ही सारे प्राणियों और देवी-देवताओं का अस्तित्व है। प्राण-तत्व को जानना ही परमधर्म है। प्रा सत्य सनातन धर्म --ही इस सृष्टि का प्राण है . प्राण-तत्व है, जिसने इस सारी सृष्टि को धारण कर रखा है। प्राण-तत्व से ही ऊर्जा ण-तत्व का ज्ञान श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ सिद्ध योगी सद्गुरु की कृपा से उनके द्वारा बताई हुई साधना, उनके सान्निध्य में, सफलतापूर्वक करने से होता है।
Thursday, 19 June 2025
सत्य सनातन धर्म ही इस सृष्टि का प्राण है। यही प्राण-तत्व है, जिसने इस सारी सृष्टि को धारण कर रखा है।
माता-पिता प्रथम देवता होते हैं। सर्वप्रथम प्रणाम उन्हीं को किया जाता है।
माता-पिता प्रथम देवता होते हैं। सर्वप्रथम प्रणाम उन्हीं को किया जाता है। जिस मंत्र से गुरु को प्रणाम करते हैं, उसी मंत्र का मानसिक जप करते हुए पिता को प्रणाम किया जाता है। जिस मंत्र से भगवती भुवनेश्वरी को प्रणाम किया जाता है, उसी मंत्र का मानसिक जप करते हुए माता को प्रणाम किया जाता है। यदि वे नहीं हैं तो भी मानसिक रूप से सर्वप्रथम प्रणाम उन्हीं को करें।
मन को आत्मा में ही लगाएँ और अनात्म से मुक्त हों? ---
मन को आत्मा में ही लगाएँ और अनात्म से मुक्त हों? ---
अपने चारों ओर का संसार बहुत अच्छी तरह से देख लिया है। और कुछ भी देखना बाकी नहीं है।
अपने चारों ओर का संसार बहुत अच्छी तरह से देख लिया है। और कुछ भी देखना बाकी नहीं है। जो सार की बात है उसे स्वीकार कर, असार को त्याग देना ही उचित है।
क्या चीन-भारत युद्ध की भूमिका बन रही है?
(प्र.) क्या चीन-भारत युद्ध की भूमिका बन रही है?
साकार रूप में स्वयं वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण मेरे समक्ष शांभवी-मुद्रा में ध्यानस्थ हैं ---
साकार रूप में स्वयं वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण मेरे समक्ष शांभवी-मुद्रा में ध्यानस्थ हैं। उनके बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं है। कभी कभी वे त्रिभंग-मुद्रा में बांसुरी बजाते हुए दिखाई देते हैं। इसे त्रिभंग मुद्रा इस लिए कहते हैं कि वे हमें अज्ञान की तीनों -- रुद्र-ग्रंथि, विष्णु-ग्रंथि, और ब्रह्म-ग्रंथि का भेदन करने को कह रहे हैं। बांसुरी बजाकर वे समस्त सृष्टि में प्राण फूँक रहे हैं, साथ-साथ नव-सृजन भी कर रहे हैं। वे स्वयं ही यह समस्त्त विश्व और उसके प्राण हैं। वे ही धनुर्धारी भगवान श्रीराम हैं, वे ही परमशिव हैं, और वे ही तंत्र की दसों महा-विद्याएँ हैं।
मेरा सौभाग्य है कि आजकल प्रातःकाल में उठते ही भगवान पकड़ लेते हैं ---
मेरा सौभाग्य है कि आजकल प्रातःकाल में उठते ही भगवान पकड़ लेते हैं। उनकी पकड़ बड़ी प्रेममय है जिस से बचना असंभव है। वे ही यह भाव उत्पन्न करते हैं कि -- "तुम यह विराट अनंतता और सम्पूर्ण सृष्टि हो, यह नश्वर भौतिक देह नहीं। तुम से पृथक कुछ भी नहीं है। तुम अजर अमर शाश्वत आत्मा हो।"
संतान कैसी होगी? इसका पूरा दायित्व माता पर है ---
संतान कैसी होगी? इसका पूरा दायित्व माता पर है
आत्माराम ---
आत्माराम ---
भगवान की परम कृपा है कि क्रिकेट का खेल मैंने कभी भी नहीं खेला और न ही इसके बारे में कोई जानकारी है ---
भगवान की परम कृपा है कि क्रिकेट का खेल मैंने कभी भी नहीं खेला और न ही इसके बारे में कोई जानकारी है| मेरी इस खेल में कोई रूचि भी नहीं है और न मैं इसे देखना पसंद करता हूँ|
हनुमान् जी के विवाह की चर्चा अप्रामाणिक --- (लेखक : आचार्य सियारामदास नैयायिक)
---हनुमान् जी के विवाह की चर्चा अप्रामाणिक--- (लेखक : आचार्य सियारामदास नैयायिक)