गहराई से "योग" का अर्थ, जिस पर हम प्रायः चर्चा नहीं करना चाहते ---
Saturday, 21 June 2025
गहराई से "योग" का अर्थ, जिस पर हम प्रायः चर्चा नहीं करना चाहते ---
एक विचित्र सी बहुत गहन तड़प मेरे हृदय में लंबे समय से है ---
एक विचित्र सी बहुत गहन तड़प मेरे हृदय में लंबे समय से है। उस तड़प में पीड़ा भी है और व्याकुलता भी। पहले तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। उस का कारण समझने का पूर्ण प्रयास किया तो समझ में आया कि तमोगुण के प्रभाव से मैं कुछ भूल कर रहा हूँ, यह उस को सुधारने का प्रकृति द्वारा दिया हुआ एक संदेश है। पूरी बात समझ में आ गयी है। यह भूल अब और नहीं होगी।
अब जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण बदल गया है ---
अब जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण बदल गया है। मेरे पास समय और स्थान की कोई कमी नहीं है। जीवन अनंत है। कहीं भी जीवन का अंत नहीं है। समय ही समय है। परमात्मा का सारा समय मेरा ही समय है। इस पृथ्वी ग्रह से ही बंधा हुआ मैं नहीं हूँ। सारा ब्रह्मांड और सारी अनंतता मेरा ही विस्तार है। अब आने वाला सारा समय परमात्मा को समर्पित है।
भगवान का स्पष्ट आदेश ---
भगवान का स्पष्ट आदेश ---
भगवत्-प्राप्ति की पात्रता किसमें होती है? ---
(प्रश्न ) : भगवत्-प्राप्ति की पात्रता किसमें होती है?
वह परिवर्तन हम स्वयं हैं जो विश्व में होते हुए देखना चाहते हैं ---
वह परिवर्तन हम स्वयं हैं जो विश्व में होते हुए देखना चाहते हैं ---
.Friday, 20 June 2025
अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस की शुभ कामनाएँ :---
अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस की शुभ कामनाएँ :---
कई साधक शिकायत करते हैं कि उनकी साधना नहीं हो रही है ---
कई साधक शिकायत करते हैं कि उनकी साधना नहीं हो रही है।
अंतर्राष्ट्रीय "योग-दिवस" पर सभी का अभिनन्दन और शुभ कामनाएँ !
अंतर्राष्ट्रीय "योग-दिवस" पर सभी का अभिनन्दन और शुभ कामनाएँ !
सनातन हिन्दू धर्म सनातन और शाश्वत है ---
सनातन हिन्दू धर्म सनातन और शाश्वत है ---
जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही योग-दर्शन है|
जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही योग-दर्शन है|
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(Re-Edited & Re-Posted) "रथस्थं वामनं दृष्ट्वा पुनर्जन्म न विद्यते।" (स्कन्द पुराण) ----
(Re-Edited & Re-Posted) "रथस्थं वामनं दृष्ट्वा पुनर्जन्म न विद्यते।" (स्कन्द पुराण)
अपने अहंभाव का परमात्मा में पूर्ण विसर्जन ही योग है। आज अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस है। सभी को मंगलमय शुभ कामनाएँ ---
अपने अहंभाव का परमात्मा में पूर्ण विसर्जन ही योग है।
अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस पर संकल्प .....
अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस पर संकल्प .....
Thursday, 19 June 2025
सत्य सनातन धर्म ही इस सृष्टि का प्राण है। यही प्राण-तत्व है, जिसने इस सारी सृष्टि को धारण कर रखा है।
सत्य सनातन धर्म --ही इस सृष्टि का प्राण है . यही प्राण-तत्व है, जिसने इस सारी सृष्टि को धारण कर रखा है। प्राण-तत्व से ही ऊर्जा निर्मित हुई है, जिससे सृष्टि का निर्माण हुआ। प्राण-तत्व से ही सारे प्राणियों और देवी-देवताओं का अस्तित्व है। प्राण-तत्व को जानना ही परमधर्म है। प्रा सत्य सनातन धर्म --ही इस सृष्टि का प्राण है . प्राण-तत्व है, जिसने इस सारी सृष्टि को धारण कर रखा है। प्राण-तत्व से ही ऊर्जा ण-तत्व का ज्ञान श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ सिद्ध योगी सद्गुरु की कृपा से उनके द्वारा बताई हुई साधना, उनके सान्निध्य में, सफलतापूर्वक करने से होता है।
माता-पिता प्रथम देवता होते हैं। सर्वप्रथम प्रणाम उन्हीं को किया जाता है।
माता-पिता प्रथम देवता होते हैं। सर्वप्रथम प्रणाम उन्हीं को किया जाता है। जिस मंत्र से गुरु को प्रणाम करते हैं, उसी मंत्र का मानसिक जप करते हुए पिता को प्रणाम किया जाता है। जिस मंत्र से भगवती भुवनेश्वरी को प्रणाम किया जाता है, उसी मंत्र का मानसिक जप करते हुए माता को प्रणाम किया जाता है। यदि वे नहीं हैं तो भी मानसिक रूप से सर्वप्रथम प्रणाम उन्हीं को करें।
मन को आत्मा में ही लगाएँ और अनात्म से मुक्त हों? ---
मन को आत्मा में ही लगाएँ और अनात्म से मुक्त हों? ---