भारतवर्ष सदा एक हिदू राष्ट्र था, हिन्दू राष्ट्र है, और हिन्दू राष्ट्र ही रहेगा .....
Saturday, 6 December 2025
भारतवर्ष सदा एक हिदू राष्ट्र था, हिन्दू राष्ट्र है, और हिन्दू राष्ट्र ही रहेगा .....
Thursday, 4 December 2025
सत्यनिष्ठा से निरंतर परमात्मा के हृदय में रहो, व परमात्मा को सदा निज हृदय में रखो ---
सत्यनिष्ठा से निरंतर परमात्मा के हृदय में रहो, व परमात्मा को सदा निज हृदय में रखो। यही हमारा सर्वोच्च रक्षा-कवच है।
अपनी चेतना के उच्चतम बिन्दु पर रहें। वहीं से नीचे उतर कर इस भौतिक देह के माध्यम से साधना करें, और पुनश्च: उच्चतम पर लौट जायें। उच्चतम पर ही परमशिव पुरुषोत्तम की अनुभूति होती है। यह मनुष्य देह भगवान द्वारा दिया हुआ एक साधन है जिसे स्वस्थ रखें, क्योंकि इसी के माध्यम से हम आत्म-साक्षात्कार कर सकते हैं। शब्दजाल में न फँसें। अपनी अनुभूति स्वयं करें। कोई अन्य नहीं है। अपने आराध्य इष्ट देव की छवि को आत्म-भाव से कूटस्थ में सदा अपने समक्ष रखें। जब भूल जायें तब याद आते ही पुनश्च उनका स्मरण और आंतरिक दर्शन प्रारम्भ कर दें।
Tuesday, 2 December 2025
उपासना'.... 'तैलधारा' की तरह क्यों होती है? गुरु रूप ब्रह्म कौन हैं? ---
उपासना'.... 'तैलधारा' की तरह क्यों होती है? गुरु रूप ब्रह्म कौन हैं?
Sunday, 30 November 2025
संत ज्ञानेश्वर और भगवान श्रीकृष्ण का विट्ठल विग्रह ---
संत ज्ञानेश्वर और भगवान श्रीकृष्ण का विट्ठल विग्रह ---
.आज प्रातः संत ज्ञानेश्वर का एक चित्र देखा जिसमें वे एक वृक्ष के नीचे पद्मासन में बैठकर भगवान श्रीकृष्ण के विट्ठल विग्रह का ध्यान कर रहे हैं। वह विग्रह मुझे बहुत अच्छा लगा। उसको देखते देखते विट्ठल के ध्यान में मैं भी आनंदमय हो गया। महाराष्ट्र में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना इसी रूप में होती है। वे एक ईंट पर सावधान की मुद्रा में खड़े हैं, और हाथ कमर पर रखे हुए हैं।
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कथा है कि छठी शताब्दी में पुंडलिक नामक एक भक्त पंढरपुर, महाराष्ट्र में जन्मे। पुंडलिक जी का अपने माता-पिता एवं अपने इष्टदेव श्रीकृष्ण में अनन्य भाव था, जो भगवान को अति पसंद था। रुक्मणी जी के साथ एक दिन भगवान उस भक्त के द्वार पर प्रकट हुए और बोले, “पुंडलिक!, देखो बालक, हम रुक्मिणी जी के साथ तुम्हें दर्शन देने आए हैं।” उस वक़्त पुंडलिक अपने पिता के पैर दबा रहे थे तथा वे भगवान से बोले, “हे नाथ! मैं अभी अपने पिताजी की सेवा में लगा हूँ, आपको थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी; तब तक आप इस ईंट पर खड़े होकर प्रतीक्षा करें।” भगवान ने वैसा ही किया, और वे कमर पर दोनों हाथ रखकर, एक ईंट पर खड़े हो गए। रुक्मिणी जी भी एक दूसरी ईंट पर ही खड़े होकर प्रतीक्षा करने लगीं। पिताजी की सेवा से निवृत्त होकर पुंडलीक ने पीछे की ओर देखा तो पाया कि भगवान तो विग्रह का रूप ले चुके हैं। पुंडलिक ने उस विग्रह को अपने घर में स्थापित कर उसकी सेवा करना आरंभ कर दिया। ईंट को मराठी में विट कहते हैं तो ईंट ओर खड़े होने के कारण प्रभु का नाम विट्ठल पड़ गया।
३० नवंबर २०२३
Friday, 28 November 2025
जीवन में पूर्णता, और समर्पण कैसे हो ?
जीवन में पूर्णता, और समर्पण कैसे हो ?
.(प्रश्न) : निज जीवन में पूर्णता को प्राप्त किए बिना तृप्ति और संतुष्टि नहीं मिलती। लेकिन पूर्णता को हम कैसे प्राप्त हों?
(उत्तर) : हमारी अंतर्रात्मा कहती है कि जिन का कभी जन्म भी नहीं हुआ, और मृत्यु भी नहीं हुई, उनके साथ जुड़ कर ही हम पूर्ण हो सकते हैं।
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(प्रश्न) : लेकिन वे हैं कौन?
(उत्तर) : जिनकी हमें हर समय अनुभूति होती है, वे परमब्रह्म परमशिव परमात्मा ही पूर्ण हो सकते हैं। उन को उपलब्ध होने के लिए ही हमने जन्म लिया है। जब तक उनमें हम समर्पित नहीं होते, तब तक यह अपूर्णता रहेगी॥
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(प्रश्न) : उन्हें हम समर्पित कैसे हों ?
(उत्तर) : एकमात्र मार्ग है -- परमप्रेम, पवित्रता और उन्हें पाने की एक गहन अभीप्सा। अन्य कोई मार्ग नहीं है। जब इस मार्ग पर चलते हैं, तब परमप्रेमवश वे निरंतर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। ॐ तत्सत् !!
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"ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते।
पूर्णश्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥"
कृपा शंकर
२९/११/२०२४
Thursday, 27 November 2025
शिव के नाम पर पाखंड करने की चाल इंदिरा की थी, बाला तो मुखोटे थे ---
(Acharya Chandrashekhar Shaastri की वाल से साभार copy/pasted लेख)
विश्व के तीन स्थानों पर इस समय युद्ध की पूरी संभावनायें हैं। यह कोई ज्योतिषीय भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि वर्तमान घटनाक्रम के गहन विश्लेषण का सार है ---
विश्व के तीन स्थानों पर इस समय युद्ध की पूरी संभावनायें हैं। यह कोई ज्योतिषीय भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि वर्तमान घटनाक्रम के गहन विश्लेषण का सार है ---
Wednesday, 26 November 2025
(१) संविधान-दिवस। (२) पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा मुंबई पर २६-११-२००८ को किये गये भीषण आक्रमण की वर्षगांठ।
आज २६ नवंबर २०२४ को भारत में -- (१) संविधान-दिवस है, और (२) पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा मुंबई पर २६-११-२००८ को किये गये भीषण आक्रमण की १६वीं वर्षगांठ है। लगता है इस आक्रमण में तत्कालीन भारत सरकार की भी सहमति थी। इन दोनों विषयों पर चर्चा करते हैं।
Monday, 24 November 2025
भारत सदा विजयी रहेगा .....
भारत सदा विजयी रहेगा .....
Sunday, 23 November 2025
सांस तो स्वयं महासागर ले रहा है, सांसें लेने का मेरा भ्रम मिथ्या है ---
एक बार अनुभूति हुई कि सामने एक महासागर आ गया है, तो बिना किसी झिझक के मैंने उसमें छलांग लगा दी और जितनी अधिक गहराइयों में जा सकता था उतनी गहराइयों में चला गया। फिर सांस लेने की इच्छा हुई तो पाया कि सांस तो स्वयं महासागर ले रहा है, सांसें लेने का मेरा भ्रम मिथ्या है। फिर भी पृथकता का यह मिथ्या बोध क्यों? यही तो जगत की ज्वालाओं का मूल है।
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Saturday, 22 November 2025
भगवान से बड़ा छलिया और कोई नहीं है .....
भगवान से बड़ा छलिया और कोई नहीं है .....
'अहिंसा परमो धर्म' ....
'अहिंसा परमो धर्म' ..... यह महाभारत का वाक्य है जिसे समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि हिंसा क्या है| एक वीतराग व्यक्ति ही अहिंसक हो सकता है, सामान्य सांसारिक व्यक्ति तो कभी भी नहीं| मनुष्य का राग-द्वेष, अहंकार और लोभ ही हिंसा है|
Friday, 21 November 2025
बड़ी कुटिलता से भारत में हिंदुओं को धर्म-निरपेक्षता के नाम पर द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाया गया है|
बड़ी कुटिलता से भारत में हिंदुओं को धर्म-निरपेक्षता के नाम पर द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाया गया है|
अंडमान के संरक्षित नार्थ सेंटिनल द्वीप पर जाने की अनुमति एक विदेशी पादरी को किसने दी ?
अंडमान के संरक्षित नार्थ सेंटिनल द्वीप पर जाने की अनुमति एक विदेशी पादरी को किसने दी? किस के आदेश से वहाँ हेलिकोप्टर गया? यह एक आपराधिक कृत्य था जिसके लिए दोषी को सजा मिलनी चाहिए| यह द्वीप संरक्षित द्वीप है जिस के आसपास जाने की किसी को भी अनुमति नहीं है| भारत सरकार के एक वैज्ञानिक अनुसंधान जहाज द्वारा इस द्वीप के आसपास के भौगोलिक क्षेत्र में चालीस वर्ष पूर्व १९७८ में एक वैज्ञानिक भूगर्भीय सर्वे हुआ था| मैं भी उस जहाज पर था| वहां के निवासियों को दूरबीन से देखा था| वे नग्न रहते हैं, कोई कपड़ा नहीं पहिनते हैं| किसी भी बाहरी व्यक्ति को वहां नहीं आने देते, और स्वयं भी कहीं नहीं जाते| बाहर के विश्व से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है| वे लोग अभी भी पाषाण युग में रहते हैं| कोई उनकी बोली भी नहीं समझता| भारत सरकार ने उसे संरक्षित क्षेत्र घोषित कर रखा है, किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं है| अतः इस विदेशी पादरी की हिम्मत कैसे हुई अवैध रूप से वहाँ जाने की? किस ने उसको बचाने के लिए हेलिकोप्टर वहां भेजा? यह वहाँ चर्च के प्रभाव को दिखाता है|
“धार्याति सा धर्म:” ... धारण करने योग्य आचरण ही धर्म है ---
“धार्याति सा धर्म:” ... धारण करने योग्य आचरण ही धर्म है| धर्म कभी भय और प्रलोभन पर आधारित नहीं होता| जहाँ सिर्फ भय और प्रलोभन है, वह धर्म नहीं, अधर्म है| भय या प्रलोभन के वशीभूत होकर किए गए कर्म कभी धार्मिक नहीं हो सकते, वे अधार्मिक ही होंगे| भारत में धर्म की व्याख्या अनेक ग्रन्थों में की गई है, लेकिन कणाद ऋषि द्वारा वैशेषिक सूत्रों में की गई परिभाषा ही सर्वमान्य और सर्वाधिक लोकप्रिय है ... "यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धि: स धर्म:||"
Thursday, 20 November 2025
जो हम स्वयं की दृष्टि में हैं, भगवान की दृष्टि में भी वही हैं। अतः निरंतर अपने शिव-स्वरूप में रहने की उपासना करें। यही हमारा स्वधर्म है।
जो हम स्वयं की दृष्टि में हैं, भगवान की दृष्टि में भी वही हैं। अतः निरंतर अपने शिव-स्वरूप में रहने की उपासना करें। यही हमारा स्वधर्म है।