Saturday, 31 May 2025

हिंदुओं में होने वाले विवाह समारोहों के बारे में मेरे कुछ विचार हैं जिन्हें सराहते तो सब हैं पर पालन कोई नहीं करता :---

(१) दिवा लग्न हों यानि सूरज की रोशनी में विवाह हों ताकि जेनेरेटर और बिजली का फालतू खर्चा बचे, और रात्रि को लोग चैन से सो सकें| बैंड बाजा और नाच-कूद लड़के वाले अपने घर पर करें, कन्या पक्ष के यहाँ नहीं| .

(२) बारात में दस-पंद्रह से अधिक बाराती न हों| कन्या पक्ष पर वर पक्ष के अधिक से अधिक दस-पंद्रह लोगों को भोजन कराने की ज़िम्मेदारी हो|
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(3) हर विवाह की रजिस्ट्री हो| दहेज के हर सामान की और नकद दिये हुए रुपयों की वीडियो रिकॉर्डिंग हो और विवाह की रजिस्ट्री मे इसका उल्लेख हो ताकि कन्या पक्ष बाद मे निरपराध वर पक्ष पर झूठे मुकदमे न कर सके| आजकल महिला अत्याचार और दहेज के लगभग सारे मामले झूठे होते हैं| ऐसी परिस्थिति ही पैदा न हो कि झूठी मुकदमेबाजी हो| . आगे से स्थायी रूप से विवाह समारोहों में भी अधिकतम २२ व्यक्तियों की ही अनुमति का नियम बन जाये तो पूरे समाज का बहुत अधिक कल्याण हो जाएगा। ११ व्यक्ति कन्या पक्ष के और ११ व्यक्ति वर पक्ष के, बस इतना ही बहुत है, इस से अधिक किसी भी परिस्थिति में नहीं। कन्या का विवाह करते करते उसके माँ-बाप की कमर टूट जाती है, और वर पक्ष का लालच कभी कम नहीं होता।

३१ मई 2020

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