गर्मी के मौसम की सकारात्मकता ---
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आजकल भयंकर गर्मी से लोग त्रस्त हैं| लू लगने से हजारों लोग मरे हैं|
पर गर्मी का एक आनंद भी है जो पूरा उठाना चाहिए|
मौसम में परिवर्तन के कारण अब की बार लू का सर्वाधिक प्रकोप आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में हुआ जहाँ दो हज़ार से अधिक लोग मरे हैं|
जब बाहर का तापमान सामान्य से तीन-चार डिग्री सेल्सियस या अधिक होता है तब उसके प्रभाव से जो गर्म हवा चलती है उसे 'लू' कहते हैं| शुष्क जलवायू में तो यह बहुत घातक होती है|
जहाँ तक हो सके धूप में बाहर ना निकलें| यदि निकलना ही पड़े तो सिर को मोटे सूती कपडे से अच्छी तरह ढक लें| छाते का भी प्रयोग करें| गर्म हवा से देह को बचाएं| सफ़ेद सूती वस्त्र पहिनें| नंगे पाँव गर्म भूमि पर न चलें| घर से बाहर लिकलने से पूर्व खूब पानी पीकर चलें| प्यास लगते ही खूब पानी पीएँ| अनावश्यक बाहर खुले में ना रहें|
इस मौसम में छाछ, बील का शरबत, नीबुपानी, कच्चे आम का पना और तरबूज का सेवन बहुत लाभदायक और मजेदार भी होता है| प्याज भी दवा का काम करता है| राजस्थान और हरयाणा में छाछ और बाजरे के आटे से एक विशेष विधि से एक पेय बनाते हैं जिसे 'राबड़ी' कहते हैं| यह राबड़ी पीने से लू और गर्मी से रक्षा होती है|
किसी को लू लग जाना एक मेडिकल आपत्काल होता है| तुरंत उपचार न मिलने से मृत्यु हो सकती है| इसलिए सभी को इसका प्राथमिक उपचार सीख लेना चाहिए|
जितनी लू चलती है, खरबूजा उतना ही मीठा होता है| आजकल लू चल रही है तो खरबूजे भी बहुत मीठे आ रहे हैं| दूध और आम के रस को मिलाकर एक पेय 'अमरस' बनाया जाता है जिसको ठंडा कर के रात्रि में पीने का आनंद अमृततुल्य है|
इस गर्मी के मौसम में प्रातःकाल चार बजे से साढ़े पाँच बजे तक बाहर खुले में बैठकर भगवान का ध्यान या नामजप करना चाहिए| इतना आनंद आयेगा जो अवर्णनीय है| साढ़े पाँच से साढ़े छः बजे तक किसी बगीचे मे या बाहर कहीं शुद्ध हवा में लम्बे लम्बे साँस लेते हुए घूमना चाहिए|
जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए| हर क्षण का आनंद लें| सुख और दुःख एक मानसिक अवस्था मात्र है| खूब प्रसन्न रहें और जीवन को आनंदमय बना लें|
जय सियाराम | ॐ शिव | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
३१ मई २०१५
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