Friday, 6 June 2025

अगर कोई बात समझ में नहीं आए, या जिसे समझना हमारी बौद्धिक क्षमता से परे हो तो उसको वहीं छोड़ देना चाहिये ---

अगर कोई बात समझ में नहीं आए, या जिसे समझना हमारी बौद्धिक क्षमता से परे हो तो उसको वहीं छोड़ देना चाहिये। जितना और जो भी समझ में आ सके, वही ठीक है| अपनी विद्वता के अहंकार प्रदर्शन के लिए ऊंची ऊंची बातें करना भी गलत है| वही बोलना चाहिए जो सामने वाले के समझ में आ सके| . देहरादून में कोलागढ़ रोड़ पर एक बहुत बड़े संत-महात्मा रहते थे जिनका नाम स्वामी ज्ञानानन्द गिरि था| वे वास्तव में परमात्मा का साक्षात्कार किए हुए एक बहुत ही महान संत थे| उनसे मुझे तीन बार सत्संग लाभ मिला| मैंने उनसे निवेदन किया कि मुझे बहुत सारी बातें समझ में नहीं आतीं क्योंकि इतनी बौद्धिक मुझमें क्षमता नहीं है| उन्होने उत्तर दिया कि "भगवान है" बस इतना ही समझ लेना पर्याप्त है| बाकी जो आवश्यक होगा वह भगवान स्वयं समझा देंगे| (वे स्वामी आत्मानन्द गिरि के शिष्य थे| स्वामी आत्मानन्द गिरि, स्वामी योगानन्द गिरि के शिष्य थे| स्वामी योगानन्द गिरि कालांतर में परमहंस योगानन्द के नाम से विश्व प्रसिद्ध हुए|)

७ जून २०२०

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