सबसे बड़ा तंत्र, और सबसे बड़ा मन्त्र ---
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तंत्र भी सत्य है और मंत्र भी सत्य है। अनेक तंत्र हैं, और अनेक मंत्र हैं। प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि कौन सा तंत्र, और कौन सा मंत्र सर्वोच्च है? ईश्वर प्रदत्त विवेक और निजानुभूतियों के प्रकाश में जिस निर्णय पर मैं पहुंचा हूँ, वही यहाँ लिख रहा हूँ, कोई आवश्यक नहीं कि कोई मेरे विचार से सहमत हो। असहमति का अधिकार सबको है।
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(१) सबसे बड़ा तंत्र :--- "आत्मानुसंधान" सबसे बड़ा तंत्र है। इसे अजपा-जप भी कहते हैं। यह आत्मा की एक वैदिक साधना है। मेरी खूब रुचि इस विषय में रही है। इस विषय पर खूब स्वाध्याय भी किया है और अभ्यास भी। इस का खूब अनुभव है।
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(२) सबसे बड़ा मंत्र :--- "प्रणव" (ॐ) सब से बड़ा मंत्र है। इस विषय पर खूब स्वाध्याय भी किया है और खूब अभ्यास भी। प्रणव तो साक्षात परमात्मा है। प्रणव के बाद सबसे अधिक महत्वपूर्ण मंत्र कोई है तो वह तारक मंत्र (रां) है। उसके बाद ही अन्य सब मंत्र हैं।
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(३) साधना वह ही करनी चाहिए जो हमें परमात्मा का साक्षात्कार कराती हो। भोग प्राप्ति की साधनाएं समय की बर्बादी हैं। वे हमें हमारे लक्ष्य परमात्मा से दूर ले जाती हैं।
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हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ नवंबर २०२५
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