सनातन हिन्दू धर्म सनातन और शाश्वत है ---
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सनातन धर्म स्वयं परमात्मा द्वारा निर्मित प्रकृति का धर्म है जिसे न तो कोई परिवर्तित कर सकता है, और न कोई नष्ट कर सकता है। सनातन धर्म से ही यह सृष्टि निर्मित हुई है, सनातन धर्म ने ही इसे धारण कर रखा है, और सनातन धर्म से ही इसका संहार होगा। सनातन धर्म है तभी तो सृष्टि का अस्तित्व है। सनातन धर्म नहीं होगा तो यह सृष्टि भी नहीं रहेगी।
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आत्मा शाश्वत है। जब तक जीवात्मा परमात्मा को उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक उसे कर्मफलों को भोगने के लिए बार-बार पुनर्जन्म लेना ही पड़ता है। परमात्मा से दूरी दुःख है, और समीपता सुख है। परमात्मा को उपलब्ध होने के साधन श्रुतियों व आगम ग्रन्थों में बताए गए हैं। यही सनातन धर्म का सार है, बाकी सब विस्तार है।
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इस सृष्टि में अपनी तमोगुणी सुविधा, स्वार्थ, लोभ और अहंकार के वशीभूत होकर मनुष्य अपने राजनीतिक साम्राज्यों के विस्तार हेतु अनेक आसुरी मत-मतांतरों, मज़हबों और रिलीजनों की सृष्टि कर लेते हैं। पर उनसे परमात्मा को पाने की अभीप्सा यानि प्यास कभी शांत नहीं होती। उनसे किसी को तृप्ति, संतोष व आनंद भी नहीं मिलता। ये हमें परमात्मा की प्राप्ति नहीं करा सकते। समय के साथ वे आसुरी मत अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं।
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हमें तो अपना उद्धार करना ही है। गीता में भगवान कहते हैं --
"उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥६:५॥"
अर्थात् -- मनुष्य को अपने द्वारा अपना उद्धार करना चाहिये और अपना अध: पतन नहीं करना चाहिये; क्योंकि आत्मा ही आत्मा का मित्र है और आत्मा (मनुष्य स्वयं) ही आत्मा का (अपना) शत्रु है॥
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श्रुति भगवती कहती है -- "एको हंसो भुवनस्यास्य मध्ये स एवाग्नि: सलिले संनिविष्ट:। तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्यः पन्था विद्यतेSयनाय॥"
(श्वेताश्वतरोपनिषद् ६/१५).
अर्थात् -- इस ब्रह्मांड के मध्य में जो एक "हंसः" यानि एक प्रकाशस्वरूप परमात्मा परिपूर्ण है; जल में स्थितअग्नि: है। उसे जानकर ही (मनुष्य) मृत्यु रूप संसार से सर्वथा पार हो जाता है। दिव्य परमधाम की प्राप्ति के लिए अन्य मार्ग नही है॥
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गुरुकृपा से इस सत्य को समझते हुए भी, यदि हम परमात्मा को समर्पित न हो सकें तो हमारे जैसा अभागा अन्य कोई नहीं हो सकता। सनातन धर्म की रचना स्वयं परमात्मा ने की है। मनुष्यों के रचे हुये सिद्धान्त नष्ट हो जाएँगे लेकिन परमात्मा का रचा हुआ सनातन धर्म शाश्वत है। जो दूसरों को तलवार से काटते हैं, वे तलवार से ही काटे जाएँगे।
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सनातन हिन्दू धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण होगा। असत्य और अंधकार की शक्तियों का पराभव होगा। भारत माता अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान होंगी। हर हर महादेव !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२१ जून २०२२
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