Friday, 20 June 2025

अंतर्राष्ट्रीय "योग-दिवस" पर सभी का अभिनन्दन और शुभ कामनाएँ !

 अंतर्राष्ट्रीय "योग-दिवस" पर सभी का अभिनन्दन और शुभ कामनाएँ !

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आध्यात्मिक दृष्टि से योग है अपने अहंभाव का परमात्मा में पूर्ण विसर्जन, यानि जीवात्मा का परमात्मा से मिलन ! हठयोग तो उसकी तैयारी मात्र है, क्योंकि साधना के लिए चाहिए एक स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन।
तंत्र की भाषा में योग है -- कुण्डलिनी महाशक्ति का परमशिव से मिलन।
मार्ग है -- परमप्रेम और उपासना।
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जितना आवश्यक हो उतना ही स्वाध्याय करो, अधिक नहीं | यानि पढो पर सिर्फ प्रेरणा प्राप्त करने के लिए ही | अधिक अध्ययन की आवश्यकता नहीं है।
खूब ध्यान करो। ध्यान के लिए शक्तिशाली देह, दृढ़ मनोबल, प्राण ऊर्जा और आसन की दृढ़ता चाहिए। साथ-साथ परमात्मा से परमप्रेम, और शुद्ध आचार-विचार भी चाहिए।
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किसी ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय सिद्ध आचार्य योगी से प्राणायाम, प्रत्याहार और धारणा के साथ साथ ध्यान की विधि सीख लें। प्रभु कृपा से यम-नियम अपने आप सिद्ध हो जायेंगे।
योग मार्ग में सर्वप्रथम और सबसे महत्व पूर्ण सिद्धि है -- "अंतःकरण की पवित्रता"। अंतःकरण पवित्र होगा तभी ह्रदय में प्रभु आयेंगे।
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सर्वदा निरंतर परमात्मा का चिंतन करो। हर समय भगवान को अपनी स्मृति में रखो। सबसे बड़ी आवश्यकता भगवान की भक्ति है जिसके बिना कोई योगी नहीं हो सकता। जिनके एक भृकुटी विलास मात्र से हज़ारों करोड़ ब्रह्मांडों की सृष्टि, स्थिति और विनाश हो सकता है, वे जब आपके ह्रदय में होंगे तो क्या संभव नहीं है।
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ॐ नमः शिवाय !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२१ जून २०२२

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