देश जले, और मैं न बोलूँ ! मैं ऐसा गद्दार नहीं, -- बहुत हो चुका है, हे देशवासियो, अब तो जागो!! कहीं तन से सिर जुदा न हो जाये !!
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सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास बनाए रखना है। कहीं अरब और मुस्लिम देश नाराज न हो जाएँ! कहीं संयुक्त राष्ट्रसंघ का मानवाधिकार आयोग नाराज न हो जाये! देश की अस्मिता चाहे नष्ट हो जाये, पर धर्मनिरपेक्षता, गंगा-जमनी तहजीब और भाई-चारा बना रहना चाहिए। भारत में सभी पर शरिया कानून लागू होते ही पूरे देश में सुख-शांति स्थापित हो जायेगी !!
"कब समय क्षमा कर पाता है ऐसे कुत्सित अपराधों को,
सब पुण्यभेंट हो जाते हैं ऐसे कुछ हिंसक व्याधों को।
यदि सिंहासन प्रति वचनबद्ध हो पाप निहारा जायेगा,
हे! भीष्म तुम्हारा पौरुष भी सदियों धिक्कारा जाएगा।"
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"क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप॥२:३॥" (गीता)
अर्थात् हे पार्थ क्लीव (कायर) मत बनो। यह तुम्हारे लिये अशोभनीय है, हे ! परंतप हृदय की क्षुद्र दुर्बलता को त्यागकर खड़े हो जाओ॥
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बहुत हो चुका है हे भारत वासियो, अब तो जागो !!
११ जून २०२२
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