Wednesday, 11 June 2025

एक प्रतिष्ठित प्रख्यात विदुषी महिला ने कल मेरे से व्हाट्सएप्प पर संदेश देकर पूछा कि ..... "सरल भाषा में मानव धर्म क्या है जो सभी समझ सकें और सभी को स्वीकार्य हो?" .

 एक प्रतिष्ठित प्रख्यात विदुषी महिला ने कल मेरे से व्हाट्सएप्प पर संदेश देकर पूछा कि .....

"सरल भाषा में मानव धर्म क्या है जो सभी समझ सकें और सभी को स्वीकार्य हो?"
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मेरा उत्तर कुछ इस प्रकार था .....
"धन्यवाद! धर्म की समझ हर व्यक्ति को अपने अपने गुणों के अनुसार अलग-अलग होती है| जिसमें सतोगुण प्रधान है उसकी समझ अलग, रजोगुण प्रधान वाले की अलग और तमोगुण प्रधान वाले की अलग होगी| उपनिषदों, महाभारत, रामायण, गीता, मनुस्मृति और विविध आगम ग्रन्थों में इस विषय को बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है| भारत में जितनी चर्चा "धर्म" पर हुई है, उतनी विश्व के अन्य किसी भी देश या संस्कृति में नहीं हुई है|
आपने सरल भाषा में बताने को कहा है अतः सरलतम भाषा में यही कहूँगा कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य परमात्मा को पाना है| जो हमें परमात्मा से जोड़ता है, परमात्मा के परमप्रेम की अनुभूतियाँ कराता है वही "धर्म" है| जो परमात्मा से दूर करता है, जिससे हम परमात्मा को स्वयं के निज जीवन में व्यक्त नहीं कर पाते वह अधर्म है| मानव मात्र के लिए जो धर्म है मैं उसे दुबारा कहता हूँ ..... जो हमें परमात्मा से जोड़ता है, परमात्मा के परमप्रेम की अनुभूतियाँ कराता है वही "धर्म" है| जिससे हम परमात्मा को स्वयं में व्यक्त नहीं कर पाते वह "अधर्म" है| ॐ तत्सत् ||"
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इस उत्तर से उन्हें संतुष्टि तो नहीं हुई पर बनावटी बात कहना मेरे लिए अधर्म होता, इसलिए जो उत्तर मेरे हृदय से आया वही उत्तर मैंने दे दिया|
११ जून २०२०

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