Tuesday, 17 June 2025

कोई प्रश्न नहीं, कोई उत्तर नहीं ---

 कोई प्रश्न नहीं, कोई उत्तर नहीं ---

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अपनी सामान्य संसारिक चेतना में मेरे मन में अनेक प्रश्न जन्म लेते हैं, जिनका मुझे कोई उत्तर नहीं मिलता। लेकिन उच्चतर केन्द्रों में वेदान्त की चेतना जागृत हो जाती है, जिसमें वे सारे प्रश्न और सारे उत्तर महत्त्वहीन होकर तिरोहित हो जाते हैं। अतः निज चेतना को एक निश्चित बिन्दु से नीचे नहीं आने देना चाहिए। इसका अभ्यास बहुत आवश्यक है।
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अब किसी भी तरह के वाद-विवाद का समय नहीं है। धर्म-अधर्म के चिंतन का भी समय नहीं है, क्योंकि भगवान से उधार मांगा हुआ जीवन जी रहा हूँ। किसी भी तरह का अनात्म चिंतन होने ही न पाये। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ जून २०२३

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