आज हमारे विवाह की ४१वीं वर्षगाँठ है -------
=============================
हमारे इष्टदेव भगवान शिव, कुलदेवी माँ शाकम्भरी, और पितृगणों के आशीर्वाद, गुरुकृपा, व आप सब की शुभ कामनाओं से आज हमारे सुखी वैवाहिक जीवन के ४१ वर्ष पूर्ण हो गए हैं| बिना किसी लड़ाई-झगड़े वाद-विवाद और असंतोष के, सुख शांति और संतुष्टि से हमारे वैवाहिक जीवन के ये ४१ वर्ष व्यतीत हुए हैं, और जब तक प्रारब्ध में साथ साथ रहना लिखा है, सुख शांति से रहेंगे|
यहाँ मैं जीवन का एक अनुभव आप के साथ बाँटना चाहता हूँ| विवाह के बाद मुझे अपनी नौकरी और कार्य के क्रम में बहुत लम्बे लम्बे समय तक विदेशों में रहना पड़ता था| विवाह के साढ़े चार वर्ष बाद की एक घटना है| मैं सर्दियों में नोर्वे के उत्तर में एक स्थान पर गया हुआ था| वहाँ की भौगोलिक स्थिति ऐसी थी कि वहाँ उस मौसम में पूरे दिन और रात धुंध रहती व आधी रात को कुछ समय के लिए सूर्य हल्के से चमकता था और वह क्षेत्र 'अर्धरात्रि के सूर्य' का स्थान कहलाता था|
वहाँ एक पार्टी में एक महिला ने मुझसे पूछा की मैं अपनी पत्नी से कितने समय से दूर हूँ| मैंने उत्तर दिया -- पाँच महीनों से| उसने और पूछा कि कितने दिनों बाद घर जाओगे| मैंने कहा -- और दो माह बाद|
मेरा उत्तर सुनकर वह महिला भड़क गयी और कहा कि ---- सात माह ! और आपकी पत्नी ने अभी तक आपको तलाक़ नहीं दिया ? फिर वह उस हॉल के दूसरे कोने से अपने आदमी का हाथ पकड़कर लाई और मुझसे कहा कि --- देखो, यह मेरा आदमी है, यह मुझसे अगर सात दिन के लिए भी दूर चला जाए तो मैं इसे छोड़कर दूसरा विवाह कर लूँगी| वहाँ उपस्थित अन्य महिलाओं के लिए भी यह आश्चर्य का विषय था कि भारत में कोई स्त्री अपने पति के बिना कैसे इतने दिनों तक रह सकती है| मुझे उन महिलाओं की बातें स्पष्ट सुनाई दी कि --- भगवान का शुक्र है कि हमारा जन्म भारत में नहीं हुआ|
विवाह के सात वर्ष बाद मेरी पत्नी मेरे साथ सिर्फ एक बार श्रीलंका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और जापान गयी थी| उसके बाद कभी विदेश नहीं गयी क्योंकि उसे वहाँ का जीवन अच्छा नहीं लगा|
हमारा अनुभव तो यही है है कि विश्व में भारतीय हिन्दू जीवन पद्धति और जीवन मूल्य ही सर्वश्रेष्ठ हैं|
भारत में जिस व्यक्ति को दो समय का भरपेट भोजन भी मिल जाता है वह भी चाहे तो सुखी है|
आप सब में अन्तस्थ प्रभु को प्रणाम ! आप सब हमें आशीर्वाद दें कि हमारा शेष जीवन समष्टि के कल्याण हेतु ईश्वर की आराधना में ही व्यतीत हो| ॐ नमः शिवाय ! ॐ शिव !
१९ मई २०१४
No comments:
Post a Comment