एक ऐसी बात है जिसे लिखने में मुझे कोई पीड़ा नहीं होनी चाहिए फिर भी दिल दुखी तो होता ही है| कोई मेरी बात से आहत होता है तो मैं पहिले ही क्षमा मांग लेता हूँ|
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कुछ हिन्दू कथावाचकों द्वारा हिन्दू विरोधी मतों के गुणगान से मुझे कुछ कुछ क्षोभ हुआ था और पूरे देश में लाखों हिंदुओं को गहरी ठेस पहुंची थी| पर मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं थी| इससे पहिले भी कई हिन्दू मठों और हिन्दू सन्यासियों द्वारा ईसाईयत व इस्लाम की और कुछ हिन्दू-द्रोही ईसाई नेताओं की बहुत ऊँची-ऊँची झूठी प्रशंसाओं से मैं कई बार आहत हो चुका हूँ| कई अधकचरे ज्ञान वाले विधिवत रूप से दीक्षित हिन्दू सन्यासी और साधू भी मिले हैं जिन के अधकचरे घटिया ज्ञान और उनके द्वारा विधर्मी मतों (ईसाईयत और इस्लाम) की की गई अधकचरी प्रशंसा सुन कर मैंने ऐसे लोगों की उपेक्षा ही करनी आरंभ कर दी| देश के कुछ प्रसिद्ध मठों में देवी काली की प्रतिमा के साथ साथ मदर टेरेसा की फोटो और देवी की तरह उनकी आरती भी होती हुई देखी है| जीसस क्राइस्ट की आरती देश के कई हिन्दू मठों में होती है|
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पहिले देश में कई नौटंकियाँ और नाटक मंडलियाँ हुआ करती थीं| वे लोग बहुत भले होते थे| वे पौराणिक पात्रों के सदगुणों और देश-रक्षक वीरों का महिमा-मंडन किया करते थे| आजकल वे नाटक-मंडलियाँ और नौटंकियाँ तो बंद हो गई हैं पर उनका स्थान कुछ कथावाचकों ने ले लिया है जिन का एकमात्र लक्ष्य पैसा व नाम कमाना है| सत्यनिष्ठ धर्म-प्रचारक तो बहुत कम बचे हैं|
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मुझे गर्व है कि मेरा बहुत उच्च कोटि के ज्ञानी और तपस्वी साधु-संतों से भी सत्संग हुआ है, पर यह ईश्वर की एक विशेष कृपा ही थी| अधिकांशतः तो नौटंकीबाज कालनेमी ही मिलते हैं| यह सत्य है|
आप सब को प्रणाम | धन्यवाद ||
27 May 2020
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