Friday, 25 April 2025

माओवाद यानि नक्सलवाद को एक दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति से समाप्त किया जा सकता है ---

माओवाद यानि नक्सलवाद को एक दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति से समाप्त किया जा सकता है| इसमें राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठना पडेगा| सभी शासकों को पता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं| इस कार्य के लिए विशेषज्ञ भी हैं और अनुभवी व्यक्ति भी| पर राजनीतिक स्वार्थ आड़े आ जाते हैं|

(१) सबसे पहले तो स्वयं को माओवादी क्रांतिकारी बताने वाले ठगों से वनवासियों को बचाना होगा| इन ठगों का निश्चित विनाश तो करना ही होगा|
(२) फिर प्राकृतिक संसाधनों .... जल, जंगल, जमीन, खनिज और पहाड़ को बचाने के लिए वनवासियों का सहयोग लेना ही होगा और उन्हें ही इसकी जिम्मेदारी भी देनी होगी|
(३) वनवासियों को साहूकारों, सरकारी कर्मचारियों और पूंजीपतियों के शोषण से बचाना होगा|
(४) वनवासियों के लिए एक पुलिस का सिपाही और एक कनिष्ठ से कनिष्ठ सरकारी कर्मचारी ही सरकार होता है| सरकारी कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित करना होगा की वे वनवासियों को सताएँ नहीं|
(५) वनवासी क्षेत्रों में निःशुल्क शिक्षा और इलाज की व्यवस्था करनी होगी|
(६) वनवासी कल्याण परिषद् जैसी संस्थाओं को सहयोग देना भी होगा और उनसे सहयोग लेना भी होगा| उन्हें इस क्षेत्र का बहुत अनुभव है|
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>>> नक्सलवाद एक विफल विचारधारा है| इसके संस्थापक कानू सान्याल ने इसके भटकाव और विफलता से दुःखी होकर आत्म ह्त्या कर ली थी| उनके सहयोगी चारू मजूमदार भी निराश होकर ह्रदय रोग से मर गए थे| इस पर मैं एक लेख पोस्ट कर चुका हूँ| इस आसुरी विचारधारा का कोई भविष्य नहीं है|

२६ अप्रैल २०१७

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